हल्द्वानी- कोरोना वायरस के सक्रंमण की मार से पूरी दुनिया व्याकुल है।समूचा विश्व इसकी मार से जूझ रहा है। महामारी से बचाव के लिए भारत भूमि भी लाकॅ डाउन के दौर से गुजर रहा है। राष्ट्रहित में इस जरुरी संदेश का लोग पालन कर रहे है। देवभूमि उत्तराखण्ड की भी सारी गतिविधियां लॉकडाउन को समर्पित है। लेकिन इससे आर्थिक हालात भी दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं। कई ऐसे वर्ग हैं, जिन्हें कोरोना वायरस के कारण जबरदस्त मार पड़ी है।खासतौर से कोरोना वायरस की अदृश्य छाया ने पहाड़ के फल व्यवसायी किसानों के माथों पर चिन्ता की लकीरें खड़ी कर दी है। दूरस्थ पहाड़ी क्षेत्रों से फलों को ढ़ोनें वाले वाहन स्वामी व चालक भी बदहाल है।
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यही वह सुनहरा समय हुआ करता था। जब पहाड़ों में बागवानी से आय अर्जित करनें वाले किसान अपना माल लेकर थोक बाजारों में आते-जाते थे। और हल्द्वानी, भवाली, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ आदि मण्डियों में रौनक छायी रहती थी। लेकिन इस बार अब तक रौनकता का संगीत सूना पड़ा हुआ है। अनेक स्थानों पर सब्जी फल, की आपूर्ति के लिए किसानों की आशाओं पर तुषारापात हो गया है। लोग ताजे फल खानें को तरस गये है। फलों को ऊंची कीमतों में बेचा जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा फायदा बिचौलिये उठा रहे हैं। क्षेत्र भर के किसान अपनी उपज बेचने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।
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फिलहाल मौजूदा हालात से छोटे किसानों व फल व्यवसायियों पर सबसे अधिक मार पड़ रही है।
कुल मिलाकर देश में कोरोना वायरस की वजह से फल किसानों को बेहद नुकासन होने की प्रबल संभावना है। पहले ही ओलावृष्टि के कारण आढू, पूलम, खुमानी, आम आदि फलों को भारी नुकसान पहुंच चुका है। अनेक स्थानों पर इनके फूल ही ओलाबृष्टि की भेंट चढ़ चुके है। कुल मिलाकर के उत्तराखंड फल व्यवसायी दोहरी मार झेल रहे हैं।
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