भाबर किले गो छा..

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भाबर किले गो छा

हे भै बैनियो तुम भाबर किलै गछा
तुमा्र बिना य पहाड़ सुनसान लागना
उ कस बखत छी जब पुरि बखै भरि रूंछी
आजकल बस एकाद बुड़ बाड़ि बच रयि
उ गाड़ कास लागछि जब उमें ग्यूं धानेकि गुड़ै हुंछी
आ्ब उन गाडों में झू जा्म रौ
नानोंक हाहाकाक सुणि बेर बुड़ि बाड़ी खुसि है रौ छी
आज बिना नानौक सुनसान है रौ
उ आम हरियाव पुछन बखत एक गीत गाछी
उ बुबु होली में ठाड़ है बेर होलिक रंगत बढोछी
उ लै एक त्यार हुं छी जब सारै परिवार एक है बेर त्यार बनूछी
लगड़ पुरि रैत दगाड़ गडेरिक साग हुं छी
बल्द जोतन बखत बौज्यू गाङ में जांछी
नानतिन हाथ में चहा गुणैकि डोई लि बेर पछिल बै जांछी
झवाड़ में आमा बुबुक गीत हुंछी
हम नानोंक लिजि जैसि त्यार हुंछी
बकार गोरूक ग्वा्व जांछया
काफवा्क बोटाक टुक में भै बेर काफव खांछियां
उ चूलक भात झोई कतुक मिठ लागछि
आज तुम सबुनेकि जब याद उछी तो य आँख भरि ऊनी
उ ब्या बरातूंक न्योलिक याद आई लै ऊनी
मालटा दाण, सानियक निमू भौतै निस्वास लगू
तुमरि याद में आज लै उ गौं घरों पना सुनसानी है जां
तुम यतुक भल माहौल किलै छोड़ि गछा
अरे म्या्र भै बै तुम भाबर किले गछा


गोकुलानंद जोशी
, बिन्दुखता

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