सतगुरु माता सुदीक्षा जी

73 वें निरंकारी संत समागम पर सतगुरु माता सुदीक्षा का मानवता को संदेश

खबर शेयर करें -

हल्द्वानी- 6 दिसंबर, 2020: मानव भौतिक साधन के पीछे भागने की बजाय, मानवीय मूल्यों को अपनाने की और ध्यान केंद्रित करेगा तो जीवन स्वयं ही सुंदर बन जायेगा।
ये उदगार सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने तीन दिवसीय 73 वें वर्चुअल वार्षिक निरंकारी संत समागम के अवसर पर दिनांक 5 दिसंबर 2020 को मानवता के नाम प्रेषित अपने संदेश में व्यक्त किए। वर्चुअल रूप में आयोजित इस संत समागम का आनंद विश्व भर में फैले निरंकारी परिवार के लाखों श्रद्धालु भक्त एवं प्रभु प्रेमीजनों ने मिशन की वेबसाइट एवं संस्कार टी.वी. के माध्यम से प्राप्त किया।

देहरादून-(बड़ी खबर) 20 दिसम्बर से होने वाली सेना भर्ती का कार्यक्रम जारी, देखिए किस दिन कहाँ की होगी भर्ती

सतगुरु माता सुदीक्षा जी ने वैष्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के विषय मे बताते हुए कहा कि इस नकारत्मक वातावरण में संसार ने यह जाना की जिस माया के पीछे वह भाग रहे है,वह तो तुच्छ भौतिक माध्यम मात्र है और इनका साधन के रूप में ही उपयोग किया जाना चाहिए । मानव अपने दैनिक कार्यो में इतना व्यस्त हो जाता है कि अपने परिवार के लिए भी समय नही दे पाता। इन सब भोतिक वस्तुओ के पीछे मनुष्य अपना सुख चैन तक खो देता है। इस विकट परिस्थिति में सभी ने ये देखा कि लोग किस प्रकार से स्वार्थ से परमार्थ की दिशा की ओर बढ़ रहे है, जिसे जिस भी रूप में जरूरत हुई, चाहे वह व्यक्तिगत रूप हो या किसी संस्था के माध्यम द्वारा, उसे उसी रूप से सहायता दी गयी।

उत्तराखंड- भतीजे की शादी में चाचा ने कर दिया कुछ ऐसा कि हर कोई रह गया दंग, पढ़िए रंजिश निकालने का अनोखा मामला

इस अभियान में संत निरंकारी मिशन का महत्वपूर्ण योगदान रहा। सीमित दायरे में केवल स्वयं के लिए न सोचकर, समस्त संसार को अपना माना। विशवबंधुत्व एवं दीवार रहित संसार का उदारचित्त भाव में में रख कर जरूरतमंद को अपने सामर्थ्यानुसार सहायता की। स्वयं की पीड़ा को भूलकर दुसरो की पीड़ा का निवारण करने का प्रयास किया। इन विषम परिस्थितियों में मानवीय मूल्य ही काम आये। लोगो की मदत करके सच्चे अर्थों में मानव, मानव कहलाया ओर यह साबित किया कि मनवता की सेवा ही परम धर्म है।

नैनीताल- जिले में पहले चरण में 30 हजार उपभोक्ताओं को मिलेंगे इस तरह के स्मार्ट राशन कार्ड, जानिए खूबियां

सतगुरु माता जी ने कहा कि संसार को निरंकार द्वारा सर्वोत्तम उपहार ‘मानवता’ के रूप में प्राप्त हुआ है।प्राचीन काल से ही संतो ने यही समझाया है कि इस भौतिक माया को इतना महत्व ना दे की जीवन मे इसके अतिरिक्त और कुछ नही है। भोतिक साधनों को महत्व न देकर मानवीय मूल्यों को महत्व देना चाइए जैसे प्रीति, प्रेम, सेवा, नम्रता और इन्हें अपने जीवन मे ढालना चाइए। तभी जीवन परिपूर्ण हो सकता है। परमार्थ को ही अपना परम् लक्ष्य मानकर स्वयं का जीवन उज्ज्वल कर सकते है। इसी से ही जीवन मे एकत्व का भाव का आगमन होता है और हमारे आचरण एवं व्यवहार में स्थिरता आ जाती है। जब परमात्मा की अनुभूति होती है तब स्थिर से मन का नाता जुड़ जाता है और जीवन सहज व सरल बन जाता है। फिर माया रूपी भोतिक वस्तुओ के केवल एक जरूरत समझते हुए उस ओर अपना ध्यान आकर्षित नही करते। केवल परमार्थ, अर्थात सेवा, परोपकार ही जीवन का एक मात्र लक्ष्य बन जाता है।

उत्तराखंड- प्रेमी की हत्या की सुपारी लेकर दिल्ली से पहाड़ पहुचे सुपारी किलर, ऐन वक्त पर धोखा दे गई बन्दूक

अंत मे माता जी ने श्रद्धालु भक्तों को प्रेरित किया कि परमात्मा के साथ एकत्व का भाव गहरा करते जिसमे जीवन मे स्थिरता प्राप्त हो। जिस से दिलो में प्रेम बढ़ता जायेगा और उसी प्रेम के आधार पर हम संसार के साथ एकत्व का भाव स्थपित कर पायेंगे। सतगुरु माता जी ने कहा कि हमे किसी स्वार्थ या मजबूरी के कारण नही, बल्कि इसलिए प्रेम का मार्ग अपनापन चाहिए क्योंकि केवल वही एक उत्तम मार्ग है। स्वार्थ भाव से मुक्त होकर साधनों को साधन मात्र ही समझकर इस सच्चाई की ओर आगे बढ़ते चले जायें।

देहरादून-(अच्छी खबर) 11 दिसंबर से इन दो एक्सप्रेस ट्रेन का संचालन होगा शुरू

अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -

👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें

👉 फेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें

हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें

Subscribe
Notify of

0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments