नैनीताल- उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के रानीबाग में प्रस्तावित विधुत शवदाह गृह के मामले में याचिकाकर्ता से एक सप्ताह में प्रतिषपथ पत्र पेश करने को कहा है। मामले में आज नगर निगम की तरफ से शपथपत्र पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि प्रस्तावित शवदाह गृह नदी से ऊपर बनाया जाना प्रस्तावित है जबकि कत्यूरी समाज की शिला नीचे नदी के पास है ।
न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में कत्यूरी समाज द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि निगम विद्युत शवदाह गृह जहां बना रहा है वहां उनकी पूजा अर्चना होती है ।मामले के अनुसार राजमाता जियारानी के कत्यूरी समाज ने न्यायालय में याचिका दायर कर कहा है कि रानीबाग कत्यूरी समाज का एक धर्मस्थल है जिसका जिक्र पुराणों में चित्रेश्वर नाम से दर्ज है। यही नही 1847 के ब्रिटिश रिकॉर्ड में कहा गया है कि इस स्थल पर सदियों से मेला लगता आया है। आरोप लगाया कि नगर निगम मन्दिर की भूमि को भी अधिकृत कर विधुत शवदाह गृह बनाने जा रहा है। नगर निगम ने इसके लिए उनके समाज के किसी व्यक्ति से राय तक नही ली, जबकि यह भूमि मन्दिर के नाम से दर्ज है। याचिकाकर्ता का यह भी कहना है कि ‘वरशिप आफ स्पेशल प्रोविजन एक्ट 1991’ की धारा 3 के अनुसार, 15 अगस्त 1947 यह कहता है कि जो भूमि जिसके लिए शुरक्षित थी उसका प्रयोग उसी के लिए किया जाएगा, उसका स्वरूप नही बदला जा सकता है। परन्तु नगर निगम मन्दिर के स्वरूप को बदलकर विधुत शवदाह गृह बना रहा है, जो संविधान के अनुच्छेद 14, 21 व 25 का उल्लंघन है। याचिकर्ता का कहना है कि मंदिर की भूमि को छोड़कर जैसे आज तक चला आ रहा है उसी के अनुसार विधुत शवदाह गृह बनाया जाय।
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