गाचार्य रजनी तोमर

हल्द्वानी- (कामयाबी) इस योगाचार्य ने न्यूरो थेरेपी रिसर्च ट्रेनिग में पाया देशभर में दूसरा स्थान, जानिए 12 सौ वर्ष पुराना विज्ञान

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हल्द्वानी- न्यूरो थेरपी वो विद्या है जिसमे यदि इंसान की नसें यदि काम करना बन्द करदे तो उन्हें पुनः इस थेरपी के जरिये सक्रिय किया जा सकता है। भारतीय चिकित्सा प्रणाली में इस थेरपी को अब सरकार ने संरक्षण देने का मन बनाया है। रजनी तोमर ने बताया कि बहुत से लोग ऐसे है जोकि न्यूरो समस्या से ग्रस्त है खास तौर पर बुजुर्ग लोग ,उन्हें एक खास दबाव के जरिये ठीक किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि न्यूरोथैरेपी लगभग 1200 वर्षो पुराना विज्ञान है। इसको डा0 लाजपत राय मेहरा ने शरीर क्रिया विज्ञान से जोड़कर नया रूप दिया है जो एक वैकेल्पिक चिकित्सा पद्वति बन गई है। न्यूरोथैरेपी प्राकृतिक चिकित्सा की थेरेपी है जो हड्डियों, जोड़ो, मांसपेशियों, रक्त एवं लसिका तंत्र एवं नाड़ी तंत्र पर काम करती है यह शरीर के विभिन्न निष्क्रिय अंगो की सक्रियता बढाने में सहायक है।

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हम लोगो ने न्यूरोपैथी, मर्मविज्ञान, एवं प्रैशर थैरेपी को जोड़कर एक ऐसी थैरेपी तैयार की जिसमें रोगी के शरीर के विभिन्न हिस्सों में निश्चित सेकेण्ड तक पै्रशर देने पर डिजनरेटेड सैल (मृत कोशिकाएं) शरीर से बाहर हो जाती है, और रोग प्रभावित हिस्सें में रक्त का संचरण बढ जाता हैं जिससे पुनरनिर्माण (रिकवरी) की प्रक्रिया में सुघार होता हैं। इस थैरेपी के माघ्यम से हमने पिछले 10 वर्षों मे अनेक लोगों को असाघ्य रोगों से छुटकारा दिया हैं और वे नवजीवन जी रहे है। कई ऐसे लोग जो वर्षों से बैड पर थे, इस न्युरोथैरेपी से इलाज पाकर आज स्वस्थ होकर अपना दैनिक कार्य स्वयं कर रहे है। न्यूरो थेरपी की देश भर की ट्रेनिंग कार्यक्रम में 60 एक्सपर्ट्स ने हिस्सा लिया था ।

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