लोकगायक बीके सामंत

हल्द्वानी। (शाबास)- पहाड़ पुत्र बीके सामंत की अनोखी मुहिम, ऐसे बदलेगी पहाड़ की तस्वीर

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हल्द्वानी- उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोकगायक बीके सामंत केवल अपने गीतों से माध्यम से नहीं बल्कि आजकल अपनी एक अनोखी पहल के लिए सुर्खियों में छाये हुए है। पहाड़ के प्रति प्यार उनके कदम मुंबई से उत्तराखंड खींच लाते है। पहाड़ की सुंदरता और या फिर पलायन या रोमांटिक गीतों से युवाओं की पहली पंसद बने लोकगायक बीके सामंत की इस अनोखी मुहिम को प्रदेश और अन्य राज्यों में बड़े-बड़े पदों पर बैठे लोगों ने सराहा है। उनकी इस अनोखी मुहिम का नाम है गढ़वाल कुमाऊं वारियर्स उत्तराखंड। इस खास मुहिम से ऐसे लोगों को जोड़ा जा रहा है जो उत्तराखंड के अलावा अन्य राज्यों में उत्तराखंड का नाम किसी न किसी काम से रोशन कर रहे हो। इसी सिलेसिले में मुंबई से शुरू हुई लोकगायक बीके सामंत की यह यात्रा पर उत्तराखंड के कुमाऊं में पहुंच चुकी है। अभी तक वह उत्तराखंड के बड़े जाने-माने नाम राज भट्ट, शूटर जसपाल राणा, मीर रंजन नेगी, श्याम बिष्ट, कर्नल अजय कोठियाल, जुबिन नौटियाल, बीके सामंत, बीके राजपूत, दिव्या रावत, रेडियो जॉकी काव्य, मनजीत नेगी, नरेन्द्र लडवाल, ललित जोशी, संजय शर्मा, दिनेश फुलारा, लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी, विपिन बलूनी समेत कई प्रतिष्ठित लोगों को जोड़ चुके है।

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गांव का विकास

लोकगायक बीके सामंत की गढ़वाल कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड को एक नई दिशा और विकास की ओर ले जायेंगे। इस मुहिम के तहत सिलसिलेवार पहाड़ के गांव का चयन किया जायेगा। इसके बाद गांव विकास करना जैसे-पहाड़ के घरों का रख-रखाव, खेती को बढ़ावा, बिजली, पानी, चिकित्सा, रास्ते और सडक़ जैसी बुनियादी सुविधायें हर गांव तक पहुंचाना।

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पलायन रोकना

आज युवा रोजगार की तलाश में पहाड़ से लगातार पलायन करन रहा है। इस पर लोकगायक बीके सामंत ने बताया कि हम पलायन कर चुके लोगों को उनके गांव से जोड़ेंगे। कम से कम 15 दिन उन्हें उनके परिवार के साथ रहने को प्रेरित करेंगे। हिमाचल की तर्ज पर गांव में होम स्टे की जानकारी देंगे। साथ ही प्रवासियों व उनके परिवारों को गांव व उनके जिले की खूबियों के बारे में जानकारी दी जायेगी।

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शिक्षा पर जोर

पहाड़ में गरीबी के चलते कई बच्चे अपनी प्रतिभा नहीं दिखा पाते है। ऐसे बच्चों को गढ़वाल कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड शिक्षा के लिए प्रेरित करेंगी। गांव में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के साथ स्कूलों में मासिक खेलों का आयोजन कर प्रतिभाओं को मंच देगी। साथ ही हर कक्षा में तीन सर्वश्रेष्ठ बच्चों का खर्चा स्वयं वहन करेगीं।

पारम्परिक त्योहारों को बढ़ावा


पुरखों से चले आ रहे पहाड़ के तीज-त्योहारों को मनाने के लिए प्रेरित करना। लोगों को लगातार इसके लिए प्रेरित करना। गैर पहाड़ी मित्रों को इन त्योहारों में आमंत्रित करना। गांव में स्वरोजगार के लिए किसानों को बाजार उपलब्ध कराना। गांव से पलायन कर चुके लोगां को गंाव के बाजार का हिस्सेदार व ग्राहक बनाना उनका लक्ष्य है।

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सरकारी योजनाओं की जानकारी


सरकार द्वारा स्वीकृत योजनाओं की ग्रामीणों को जानकारी देना। राज्य अलग होने के बाद कई योजनाओं को सरकार ने चलाया लेकिन उनकी आज क्या स्थिति है कितना लाभ मिला। कितना विकास कार्य हुआ। सरकारी विभाग के अधिकारियों और समक्ष लोगों को उनकी जिम्मेदारी से अवगत कराना। योजनाओं को लाभ लोगों तक पहुंचाना हमारा उद्देश्य है। जिससे उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य को देश में एक नई पहचान मिल सकें। बीके सामंत ने लोगों से इस मुहिम में बढ़-चढक़र हिस्सा लेने की अपील की।

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