हल्द्वानी- उत्तराखंडी संगीत को आगे बढ़ाने में कई महान कलाकारों का अहम योगदान रहा है। आज की युवा पीढ़ी उसे आगे बढ़ा रही है। जिसमें कई लोकगायक ऐसे भी हैं जो पहली बार में ही अपनी अगल छाप छोडऩे में कामयाब हुए है। उन्हीं में एक नाम लोकगायक गोविंद मेहता का है। जिनके गीतों का दिवाना आज पहाड़ का हर युवा हैं। आजक शादियों में उनके गीत ओ दाज्यू मैं छू पहाड़ी की सबसे ज्यादा डिमांड है। इस गाने में युवा जमकर थिरक रहे है। हाल ही में यह गीत उनके चैनल मेहता प्रोडक्शन से रिलीज हुआ है।
ओ दाज्यू मैं छू पहाड़ी से मिली पहचान
खबर पहाड़ से विशेष बातचीत में लोकगायक गोविंद मेहता ने बताया कि इस गीत को उन्होंने खुद लिखा है। यह गीत ओ दाज्यू मैं छू पहाड़ी-2 वर्जन है। जो डीजे में लोगों की पहली पसंद बना हुआ है। इससे पहले इस गीत को छह लाख से ऊपर व्यूज मिले है। जिसकी मांग को देखते हुए उन्होंने इस गीत को 2 वर्जन देकर डीजे के साथ फिर से दोबारा मार्केट में उतारा। लोकगायक गोविंद मेहता ने बताया कि वह करीब 25 गीत गा चुके है। नॉन स्टॉप, नथुली की डोर,ढोल दमाऊ, मधुली फैशन, रेशमा रे, बाना सुमना जैसे सुपरहिट गीत दे चुके है।
बचपन के शौक ने बनाया लोकगायक
लोकगायक गोविंद मेहता ने बताया कि वर्ष 2016 में उन्होंने उत्तराखंड के संगीत जगत में कदम रखा। बचपन से गीत गाने के शौक उनका दिल्ली में जाकर पूरा हुआ। दिल्ली के नजफगढ़ में उन्हें पहली बार मंच पर गाने का मौका मिला। बस इसी मौके को उन्होंने भूना लिया। इसके बाद कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा। मूलरूप से अल्मोड़ा सैम काना गांव के रहने वाले लोकगायक गोविंद मेहता इन दिनों हरियाणा में जॉब कर रहे है। आज उनके गीतों को जिस तरह से लोगों ने प्यार दिया है उन्होंने इसका श्रेय अपनी माता तुलसी देवी और पिता स्व. हरीश मेहता को दिया। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड के हास्य कलाकर शिबू रावत और लोकगायक नवीन रावत ने उनका हमेशा सपोर्ट किया। उनके भाई कुंदन मेहता, पवन मेहता, पंकज मेहता और जीजा हरीश सिंह गैड़ा ने उन्हें आगे बढऩे के लिए हमेशा प्रेरित किया।
लोकगायक ने की खबर पहाड़ की प्रशंसा
लोकगायक गोविंद मेहता ने बताया कि जल्द ही उनके कई और गीत आने वाले है जो लोगों को खूब पसंद आयेंगे। फिलहाल आज बारातों में उनके गीत दाज्यू मैं छूं पहाड़ी ने धूम मचा रखी है। एक लोकगायक के तौर पर उन्हें अपने गीतों से बड़ी पहचान मिली है। लोकगायक गोविंद मेहता ने कहा कि जिस तरह खबर पहाड़ लोकगायकों को प्रोत्साहन कर रहा है उससे उन्हें नई ऊर्जा मिलती है। उन्होंने खबर पहाड़ के खबरों की जमकर सराहना की।
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