( कैसे बिताए हम ये 21 दिनों को )
जब दिन दहशहत भरे हो ,जब खुद की अपनी दीवारें काटने को दौड़े।जब इंसान खुद के बनाए मर्तबान में कैद हो ,तो ऐसी स्थिति में हम और हमारा दिल दिमाग ऐसे हालातो में कई साल पीछे चला जाता है उन यादों के सरोवर में डूबने को तैयार हो जाता है।

ऐसे में वो पुरानी यादे जीवन की लंबी स्मृति बन जाती हैं जो हमेशा हमारे चेहरे पर मुस्कान लाती हैं। केवल बड़े होने पर ही हमें अपने बचपन के वास्तविक मूल्य का पता चलता है।
क्योंकि बचपन में बच्चो में कोई चिंता नहीं होती है, उनमें कोई तनाव नहीं होता और वे सांसारिक जीवन की गंदगी से मुक्त होते है।
इसके अलावा, जब कोई व्यक्ति अपने बचपन की यादों को इकट्ठा करता है तो उसे वो एक खुशी का एहसास देते हैं।
आज जैसे-जैसे रियार्थ बड़ा हो रहा है , मै उसकी सभी खट्टी मीठी यादों को इकट्ठा करता आया हूं।ताकि जब वो उस उम्र में पहुंचे, जब उसे अपने बचपन के दिनों की कमी महसूस हो तो वो अपने पिता के जमा किए गए वो यादों के पिटारे को खोले तो उसे उन यादों में एक सुकून मिले।चाहे वो यादे कैसी भी हो।

सच बताऊं बचपन आपने भी जिया है मैंने भी ,लेकिन हमारे पास वो यादों का पिटारा मात्र स्मृति बन कर रह गया है । मै भी अपने बचपन को महसूस कर देखना चाहता हूं ।कुछ तस्वीरें आज भी जिंदा है ।शुक्र हैं !
जो अभी तक उन चटकते बॉक्स व पुरानी अटेजी में जिंदा है। जब देखता हूं तो सच बचपन में लौट जाता हूं ।पर प्रत्येक यादे जिंदा नहीं हैं ।
लेकिन आज का मेरा ये लेख आपको सच में एक ऐसी दुनिया में लेकर जाने को तैयार है जहा से आप बहुत दूर निकल चुके हो।मैंने सोचा क्यों ना इस तनाव भरे माहौल से जब सभी अपने घरों में लोकडाउन हो तो आपको कुछ दूर यादों में ले जाया जाए। जब आप बहुत सारा आराम करते हुए थक से गए हो ।फिल्में ,न्यूज देखते देखते आपके अंदर एक डर सा बैठ गया हो । सुनो जैसे जैसे आप आगे बढ़ोगे तो उस बचपन में पहुंच जाओगे , सच बताऊं आपको बहुत अच्छा महसूस होगा ।

विद्या रानी की कसम!
आप विश्वाश करो मुझ पर यार , मां कसम तो ‘मै खाऊंगा नहीं क्योंकि मैंने आपकी तरह कभी खाई नहीं… हाहाहा
ऐसे ही कई कसमें खाते खाते हमारा बचपन निकला है।याद करो उस दोस्त को जो ऐसे कसमें खाता हुआ थकता नहीं था। आपको बहुत हसी आयेगी देखो आप मुस्कुराने भी लगे ।याद दिलाओ उस मित्र को की कैसे वो आप लोगो को भी ये सब सिखाने में कामयाब रहा।

बचपन में आपके स्कूल में कई ( तेरे नाम ) फिल्म के सलमान खान रहे होंगे । कैसे कैसे उनके किस्से पूरे कॉलेज में मशहूर थे ।सच यार मैंने तो बहुत लोग ऐसे देखे जो अपनी काल्पनिक अभिनेत्री निरज्या के पीछे पागल थे ।आज मै उनको देखता हूं तो उन्ही सलमान खान के वो मोटे मोटे से पेट हो गए है। वो बालों की जुल्फे जिसे वो हवा में ऐसे उछालते थे वो सब अब कम हो गई है।बेचारे अब कोचिंग के चक्कर ना लगाकर ,अब अपनी दुकान का शटर अप और डाउन करते हुए दिख जाते है।
और जो उस टाइम के डॉन था जिन्हे हम सच का डॉन समझ बैठे थे ,आज उनमें बड़ी नम्रता आ गई है। वो बहुत शांत से दिखने लगे है ।

और वो उस समय की ऐश्वर्या राय ,आज सब अपने असली सलमान के पास पहुंच गई है ।जो कहते थे अपनी पढ़ाई में ध्यान दो , मुझे अपना कैरियर बनाना है ।
तुम भी पहले अपने कैरियर पर ध्यान दो ..हाहाहाहा…….
आज वो भी अपने सपनों की दुनिया में खुश है।अपने अपने सलमान के साथ।
आगे हम अपने जज्बातों के भवर से बाहर निकलते है। सच बताऊं तो बचपन के दिन बड़े ही रोमांच से भरे हुए होते हैं । हमारा बचपन बड़ा ही आनंददायक और जोशीला होता है। हर किसी को अपना बचपन कभी ना कभी याद आता ही है। शायद ही ऐसा कोई इन्सान होगा जिसे अपना बचपन याद ना आया हो। बचपन की मीठी -मीठी यादों में खेलना, कूदना ,लड़ना, झगड़ना ये सब हमारी यादों का एक हिस्सा है ।बहुत ऐसे लोग होंगे। जिनकी जिंदगी के बचपन में हल्दीघाटी जैसी लड़ाइयां भी हुई होगी । लेकिन आज देखो वहीं व्यक्ति जिसे हम अपना सबसे बड़ा शत्रु मानते थे आज वही हमारे बहुत अच्छे मित्रों में से एक हैं।

मेरा बचपन इन दोस्तो के इर्द गिर्द ही गुजरा हैं। बचपन में एक साथ मिल कर गुल्ली डंडा , कंचे ,और माचिस की डिब्बियों के बने हुए वो फर्रे खेलना ये हमारी दिनचर्या का एक हिस्सा थे।अरे हा एक चीज तो भूल ही रहा हूं ,वो क्या कहते हैं उसे हां! यार ………….नाम दिमाग में आ रहा हैै मगर जुबान में नहीं।चलो आगे बढ़ते है।
इन सभी खेलों को हम मज़े से खेला करते थे, उंची –उंची आवाज़ में हमेशा इकठ्ठे होकर “अक्कड़ बक्कड बंबे बो वो अस्सी नब्बे पूरे सौ , इन शब्दों के बिना तो सभी खेल अधूरे से लगते थे। दोस्तों हमने आपने बचपन में पतंगे तो बहुत उड़ाई होंगी पतंग उड़ाने के इलावा ना पतंगों के पेचों का सिलसिला ना रुकता था और ना ही पतंग को उड़ाने जोश ,
लेकिन पतंग कट जाने के बावजूद भी हम हार नहीं मानते थे।जब तक एक दुसरे की पतंग काटी ना जाए ।

जैसा की आप सभी जानते है, बचपन के दिनों में हम सभी टेंशन फ्री होते है। कभी कभी घर वालो ने अगर किसी काम के लिए हमें बोल भी दिया तो हम काम करने के बजाए हम अपने घूमने फिरने में मस्त रहते थे। जिसके चलते हमें घर में मार भी खानी पड़ती थी । कभी कभी बचपन में हम सभी बारिश के मौसम में झूम उठते थे। बारिश में नहाना और बारिश के पानी में कागज की नाव चलाना और स्कूल में कागज़ के रॉकेट बनाकर थूक लगाकर छतो पर चिपका दिया करते थे।

कौन भूल सकता है उन प्यारे उन दिनों को, चिड़िया उड़ तोता उड़ और यदि कोई गलती से भैंस को उड़ा देता था।तो उसकी जमकर पिटाई होती थी।साथ ही साईकल के टायर को पूरी गली में ऐसे घूमना ,और हा जो उसे घूमता था वो तो बिना कच्छे के भी दिखता था।आज भी मुझे वो दोस्त याद है ।नाम बताना उचित नहीं …हाहाहा
यार चलाता तो वो धासू था , मानो हेलीकाप्टर चला रहा हो। बस अब ये सब यादों में सिमट कर रह गया है ।

आज मै और आप उम्र और समय की इस भागते हुए पड़ाव में काफी पीछे छूट से गए है।आज काफी वक्त है आप सभी के पास एक मौका मिला है । ढूंढ कर देखो उन दोस्तो को ,उनके नंबर नहीं है तो पता करो सब से पूछो फेसबुक में ढूंढो ।जब मिल जाए तो बात करो वॉट्सएप में ग्रुप बनाओ, उन बचपन के साथियों का, उन अध्यापक की तलाश करो।जिन्होंने आपको पढ़ाया हो। कैसे है वो लोग जिनके कारण आज आप यहां तक पहुंचने में कामयाब हुए हो । जब आपकी उनसे बात होगी ना सच में उनको बहुत अच्छा लगेगा और आपको अपने आप में,
कुछ आपकी इच्छा थी कुछ बनना था अपनी दुनिया बसाने के चक्कर में सब पीछे रह गया।मुझे पता है मेरे कुछ मित्र चित्र बहुत अच्छा बनाते थे ,गाने अच्छा गाते थे ,लिखते अच्छा थे ।ये सब उनकी बचपन की पोटली में दबा का दबा रहा गया है।उसे अब बाहर निकालो ।

जब इतना वक्त हो आपके पास कुछ गाकर सब मित्रो से सांझा करो ।सच उन्हें मतलब नहीं आपने कैसा गाया है।चित्र बनाओ अपने जीवन साथी का उस मित्र का ,जो आज आपसे बहुत दूर हैं ।
कैसा बनेगा उस से मतलब नहीं है उन्हें, बस आपने बनाया हो। कोई अपने समय में पुराने गुलजार भी रहे हुए होंगे।
खाली वक्त कविताएं लिख सांझा करो । काफ़ी काई सी लग चुकी है उन पुरानी दीवारों में जिसमे कभी आपके जज्बात रहा करते थे।
कुछ वो पुरानी यादें जो आप अपनी पुरानी एल्बम में छुपाए हुए बैठे हो। आप अगर उसे तलाश करने में कामयाब हो गए तो मुझे पता है आप अपने इस दोस्त के लिए आपकी एक मुस्कुराहट जरूर निकलेगी।

दोस्तो ये वक्त को जाया मत जाने दो कुछ खट्टी मीठी यादों को ढूंढो ,खोजो सांझा करो, अपने पुराने मित्रों से बात करो, वो पुराने पल याद दिलाओ उन्हें कभी जो आप लोगो ने एक साथ जिये थे।
कुछ बनाओ अटपटा सा चटपटा सा जो प्यारा हो ।खाने में स्वाद हो , तारीफे बटोरने का इस से अच्छा मौका फिर नहीं मिलेगा आपको।
अपने बच्चे के साथ खेलो ,जो कब से आपके साथ खेलने को बेकरार है, दोस्त बनो उसके अच्छे।वक्त दो उसे अपना ,वक्त बिताओ उसके साथ।
फोन करो उन रिश्तेदारों को जो आपसे बहुत दूर हैं। जो आपके अपने है। बाते करो दादी से दादा से जिनके उठने से पहले और सोने के बाद आप अपने घर पहुंचते थे।आज मौका है उनके साथ वक्त बिताने का
उस पिता से जिस से आपने काफी समय से बात नहीं की अपने व्यवसाय के चलते ,उस मां से जिस से आपने कई सालों से नहीं पूछ पाए तू कैसी है मां?
उस बीवी से जिनकी आपने सालों से तारीफ नहीं की, आज मौका है आपके पास ।
फिर जब सब सही हो जाएगा तो ये पल भी आपको जरूर याद आने वाले है।
आगे चाहता था बहुत कुछ लिखूं लेकिन ये बोरियत भरा माहौल हो जाएगा ।
इसलिए पोस्ट को विराम देता हूं।अच्छा लगा तो सांझा जरूर करे ।ताकि कोई अगला भी अपने बचपन में पहुंच जाए । ये पोस्ट मेरे सभी मित्रो और उस बचपन कि खट्टी मीठी यादों को समर्पित है।
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2 thoughts on “बचपन में आपके स्कूल में कई (तेरे नाम) फ़िल्म के सलमान रहे होंगे..”
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??????✌️✌️✌️✌️ बचपन के दिन याद आ गए ????
wah