उत्तराखंड में बिजली चोरी करने के वालों की मुसिबतें बढ़ने वाली है। दरअसल उत्तराखंड पावर कार्पोरेशन लिमिटेड प्रदेश में इनके खिलाफ अभियान चलाने की तैयारी में जुट गया है। इसके पीछे निगम का उद्देश्य राजस्व बढ़ाने के साथ लाइन लॉस से हो रहे आर्थिक नुकसान को कम करना है। बिजली चोरी को लेकर देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और नैनीताल के तराई क्षेत्र के लोग निगम के लिए सबसे अधिक मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। अब निगम ऐसे इलाकों में छापे और कार्रवाई के लिए अलग से कार्ययोजना बनाएगा।
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जानकारी मुताबिक ऐसे इलाकों में बिजली चोरी रोकने को निजी एजेंसी की मदद लेने के विकल्प पर भी चर्चा किया जा रहा है। बीते मार्च तक एक साल के दौरान निगम के विजिलेंस विंग की छापेमारी में साढ़े चार हजार से अधिक बिजली चोरी के मामले सामने आए थे। इसमें से तीन हजार मामलों में निगम की ओर से मुकदमा भी दर्ज कराया गया था। यह तो वह मामले हैं जो पकड़ में आ गए लेकिन हकीकत में इसकी संख्या आंकड़ों से कही अधिक है।
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ऐसे मामले भी पकड़ में आए इसलिए निगम अब चोरी रोकने के लिए सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। कोरोना महामारी के कारण अप्रैल से निगम के बिजली चोरी को लेकर चलाया जा रहा अभियान भी सुस्त पड़ गया। वहीं, बीते सोमवार को ऊर्जा निगम के प्रबंध निदेशक का कार्यभार संभाल चुके डॉ. नीरज खैरवाल ने अधिकारियों को इस बाबत जल्द कार्रवाई का रोडमैप तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
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