उत्तराखंड- (करें नमन) 10 आतंकियों का खात्मा करने वाले शहीद की शौर्य गाथा, नाम सुनते ही होती है गर्व की अनुभूति

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Haldwani/ Lalkuan News- बिन्दुखत्ता निवासी अशोक चक्र विजेता शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की पुण्यतिथि पर क्षेत्रवासियों ने उन्हें याद करते हुए उनकी समाधि पर पुष्प चक्र अर्पित कर उन्हें नमन किया।


शहीद मोहन नाथ गोस्वामी के वीरता के किस्से समूचे क्षेत्र व देश में प्रसिद्ध है। बिन्दुखत्ता के इस महावीर को याद करते हुए समाजसेवियों ने कहा बिन्दुखत्ता की भूमि वीरों की भूमि है। इस भूमि के महाप्रतापी शहीद मोहन नाथ गोस्वामी ने अपने प्राणों की आहुति देकर जिस बहादुरी के साथ शत्रुओं से देश की रक्षा की उसके लिए वे सदैव याद किए जाते रहेंगे। देश की रक्षा सेवा के प्रति उनकी कर्तव्यनिष्ठा को सदैव याद रखा जाएगा।


उन्होंने कहा कि गोस्वामी उस टीम का हिस्सा थे जिन्होने कश्मीर घाटी में लश्कर के 10 आतंकियो को ठिकाने लगाया था, अपने दो साथियो की जान बचाने के दौरान ०३ सितंबर 2015 को बीरगति को प्राप्त हो गए थे। जिन्हे वीरगति उपरान्त सर्वोच्च बहादुरी अशोक चक्र से नवाजा गया था।

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11 दिन में 10 आतंकियों का खात्मा करने वाले जांबाज की शौर्य गाथा

लालकुआं- जहां जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए सुरक्षाबल लगातार ऑपरेशन चला रहे हैं। इस साल अब तक सौ से अधिक आतंकियों का सुरक्षाबलों द्वारा खात्मा किया जा चुका है। आतंकियों के खात्मे की जब बात आती है तो भारतीय सेना की स्पेशल फोर्स के जांबाज कमांडो लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी(शहीद) का नाम सबकी जुबान पर आ जाता है।
लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी ने साल 2002 में सेना की इलीट पैरा कमांडो को ज्वाइन किया था। अपनी वीरता और साहस के चलते उन्होंने यूनिट के सबसे जांबाज सैनिक में ख्याति हासिल की। अपनी यूनिट के तमाम बड़े अभियानों में हिस्सा लिया और जम्मू-कश्मीर में आतंक विरोधी अभियानों में बड़ी कामयाबी हासिल की।

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साल 2015 में आतंकियों के खिलाफ चलाए गए अलग-अलग ऑपरेशन में भारत मां के इस लाल ने 11 दिनों में दस आतंकियों को मार गिराने में सफलता पाई थी। वहीं आतंकियों के खिलाफ एक ऑपरेशन के दौरान जांबाज कमांडो लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी ने राष्ट्र की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।


लांस नायक मोहन नाथ गोस्वामी की आतंकियों से पहली मुठभेड़ साल 2015 के अगस्त महीने के आखिरी सप्ताह में हंदवाड़ा में हुई। जहां उन्होंने पाकिस्तान मूल के लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को ढेर किया।


इस मुठभेड़ के तीन दिन बाद रफियाबाद में मुठभेड़ हुई। जिसमें उन्होंने एक बार फिर तीन आतंकियों का खात्मा किया।
इतना ही नहीं इस ऑपरेशन में गोस्वामी ने पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ के रहने वाले आतंकी सज्जाद अहमद उर्फ अबु उबेदउल्लाह को पकड़ने में कामयाबी भी हासिल की।

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रफियाबाद मुठभेड़ के बाद कुपवाड़ा के जंगलों में छेड़े गए आतंक विरोधी अभियान में उन्होंने चार दहशतगर्दों का सफाया किया। हालांकि इसी दौरान वह भी आतंकियों की गोली का शिकार हो गए। मरणोपरांत शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की वीरांगना को राष्ट्रपति द्वारा शांति काल के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया।

वादा कर सरकार भूल गई , नहीं कर पाई शहीद का पूरा सम्मान

लालकुआं। अशोक चक्र से सम्मानित शहीद मोहन नाथ गोस्वामी की शहादत को आज 6 वर्ष पूर्ण हो गए हैं इसके बावजूद राज्य सरकार शहीद के परिजनों एवं क्षेत्रवासियों से किया गया वादा शहीद मोहन नाथ गोस्वामी स्टेडियम का निर्माण आज तक नहीं करा पाई है। स्टेडियम निर्माण की मांग को लेकर शहीद के परिजन एवं क्षेत्रवासी कई बार आंदोलन भी कर चुके हैं परंतु उत्तराखंड सरकार और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कानों में जूं तक नहीं रेंगी है।


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