उत्तराखंड के पहाड़ के गांव-गांव में हर परिवार में माता-पिता के जहन में एक सवाल उठ रहा है कि आखिर कब तक उनके मासूम बच्चे जंगली जानवरों का निवाला बनते रहेंगे? आखिर कब तक उनके घर की खुशियां यूं ही जंगली जानवरों के पंजों के नीचे दबकर खत्म हो जाएगी? पहाड़ में पलायन के दंश से बड़ा दंश अब वन्यजीवों के आतंक का है क्योंकि जिस तरह जंगली जानवर पहाड़ के घरों में मासूम बच्चों को अपना निवाला बना रहे हैं तो राज्य के वन महकमे पर सवाल उठना भी लाजमी है आखिर कैसे और कब रुकेगा मानव वन्यजीव संघर्ष, क्योंकि आए दिन राज्य के कोने-कोने से इस तरह की खबरें आती हैं कि वन्य जीव के हमले में परिवार की खुशियां छीन ली गई ऐसा ही एक और दुखद और दर्दनाक खबर अल्मोड़ा के भिकियासैंण से सामने आई है।
शनिवार की ठीक शाम 6:00 बजे के आसपास बाजार क्षेत्र से करीब 3 किलोमीटर दूर नगर पंचायत के बाराकोट वार्ड के रहने वाले गिरीश सिंह बिष्ट की क्लास 2 में पढ़ने वाली 7 साल की मासूम बेटी दिव्या घर से 50 मीटर दूर आम के पेड़ के नीचे तीन साथियों के साथ खेल रही थी कि अचानक झाड़ियों से घात लगाकर बैठे गुलदार ने उस पर हमला बोल दिया और उसे उठाकर ले गया। अपनी आंखों के सामने 7 साल की मासूम दिव्या को गुलदार के जबड़े में देख साथी बच्चे बदहवास होकर चिल्लाने लगे जिसके बाद दिव्या की मां कविता देवी व आसपास के लोग मौके पर पहुंचकर गुलदार के पीछे भागने लगे। गुलदार मासूम बच्ची को मौत के घाट उतारने के बाद 15 फीट दूर घनी झाड़ियों में छोड़ कर भाग गया। लोगों की तलाश में मासूम बच्ची का शव बरामद हुआ। जिसके बाद पूरे बाराकोट में कोहराम मच गया, दिव्या की मां कविता देवी सदमे में गिर गई। मौके पर ही वन विभाग के अधिकारियों को सूचना दी गई उधर वन संरक्षक कुमाऊं प्रवीण कुमार और डीएफओ महातिम सिंह ने वन विभाग की टीम को कांबिंग तेज करने के निर्देश दिए हैं यही नहीं एसडीएम चौकी प्रभारी तहसीलदार कानूनगो सहित पुलिस व राजस्व कर्मियों ने भी पूरे इलाके में गश्त की है। इस घटना के बाद से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है और लोग सन्नाटे में हैं।
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