अपने आपको भुलाकर
परिवार के लिए जीने लगी हूँ
सबके बाद जागती थीं
अब सबके बाद सोने लगी हूँ

ऐसा लगता हैं माँ
मैं आपके जैसी होने लगी हूँ
बच्चों को यूं मुस्कुराते देखकर
मैं भी खुश होने लगी हूँ
एक अच्छी पत्नी से
एक प्यारी माँ मैं बनने लगी हूँ
बहू का फर्ज निभाते-निभाते
एक सुघड़ गृहिणी बनने लगी हूँ
सोचकर देखा तो पता चला
मैं भी मेरी माँ जैसी होने लगी हूँ

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2 thoughts on “‘मैं’ मेरी माँ जैसी होने.लगी हूँ..”
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Heart touching, very nice. Continue sharing such an inspiring poems/kavita’s??
thx