‘मैं’ मेरी माँ जैसी होने.लगी हूँ..

KhabarPahad-App
खबर शेयर करें -

अपने आपको भुलाकर
परिवार के लिए जीने लगी हूँ

सबके बाद जागती थीं
अब सबके बाद सोने लगी हूँ

यह भी पढ़ें 👉  (बाल कविता) मेरी मित्र परछाई , क्या है तुम्हारी सच्चाई

ऐसा लगता हैं माँ
मैं आपके जैसी होने लगी हूँ

बच्चों को यूं मुस्कुराते देखकर
मैं भी खुश होने लगी हूँ

यह भी पढ़ें 👉  (बाल कविता) मेरी मित्र परछाई , क्या है तुम्हारी सच्चाई

एक अच्छी पत्नी से
एक प्यारी माँ मैं बनने लगी हूँ

बहू का फर्ज निभाते-निभाते
एक सुघड़ गृहिणी बनने लगी हूँ

यह भी पढ़ें 👉  (बाल कविता) मेरी मित्र परछाई , क्या है तुम्हारी सच्चाई

सोचकर देखा तो पता चला
मैं भी मेरी माँ जैसी होने लगी हूँ

Ad Ad
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -

👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें

👉 फेसबुक पेज़ को लाइक करें

👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें

हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें

2 thoughts on “‘मैं’ मेरी माँ जैसी होने.लगी हूँ..

Comments are closed.