हल्द्वानी- (बड़ी खबर) हल्द्वानी सीट पर लगातार बदल रहे सियासी समीकरण, कांग्रेस को गढ़ बचाने की चुनौती

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हल्द्वानी- कुमाऊं की आर्थिक राजधानी के साथ-साथ राजनीतिक राजधानी कहे जाने वाले हल्द्वानी में मतदान से ठीक 14 दिन पहले चुनाव अपने पूरे शबाब पर है। रोजाना सियासी समीकरण बदल रहे हैं। कांग्रेस और भाजपा ने पूरी तरह प्रचार में ताकत झोंक रखी है। कांग्रेस ने जहां पूर्व मंत्री इंदिरा हृदयेश के पुत्र सुमित हृदयेश को मैदान में उतारा है तो वहीं भाजपा ने दो बार से मेयर की सीट पर बैठे डॉक्टर जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला को अपना उम्मीदवार बनाया है। चुनाव में टक्कर भले ही भाजपा और कांग्रेस के बीच रहती हो लेकिन दोनों दलों की नजर बनभूलपुरा के सियासी समीकरण पर रहती है।

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151222 मतदाताओं वाले हल्द्वानी विधानसभा में 79114 पुरुष 72048 महिला मतदाता हैं। निर्वाचन आयोग ने विधानसभा को 6 जोन और 15 सेक्टर में बांटा है। कांग्रेस के सामने जहां इंदिरा हृदयेश का गढ़ कहे जाने वाले हल्द्वानी विधानसभा को अपने साथ जोड़े रखने की चुनौती है तो वहीं भाजपा के सामने 2007 के बाद फिर यह मौका आया है, कि हल्द्वानी सीट अपनी झोली में डाला जाए, पर इन दोनों दलों के सियासी समीकरण बनभूलपुरा के बड़े मुस्लिम वोट बैंक पर अटके हुए हैं। क्योंकि वहां सपा के शोएब अहमद और ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहदुल मुसलमीन यानी (आई एम आई एम आई) पार्टी से अब्दुल मतीन सिद्दीकी चुनाव लड़ रहे हैं ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी को अपनी चुनावी रणनीति में बनभूलपुरा के वोट बैंक को सियासी नजरों से परख कर समीकरण बनाने पड़ते हैं। और इन वोटरों का हल्का सा झुकाव किसी का भी परिणाम बदलने की क्षमता रखता है।

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वर्तमान राजनीतिक हालातों पर नजर डाली जाए तो जहां मेयर जोगेंद्र पाल सिंह रौतेला के सामने मेयर रहते हुए सत्ता के खिलाफ anti-incumbency है। इसके अलावा लगातार भाजपा का हल्द्वानी में चौथा टिकट मेयर को मिलने से कई नेताओं को कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। उधर दूसरी तरफ कांग्रेस में भी वह चेहरे नदारद हैं जो कभी इंदिरा हृदयेश को चुनाव लड़ाया करते थे। और इंदिरा के चले जाने के बाद सुमित के सामने चुनावी मैनेजमेंट की चुनौती के साथ-साथ अन्य दावेदारों की नाराजगी भी फैक्टर है। लिहाजा दोनों प्रत्याशियों में आमने-सामने की कड़ी टक्कर मानी जा रही है।

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