पवनदीप राजन की मां पहुंची इंडियन आइडल के मंच पर

उत्तराखंड- पवनदीप राजन की मां पहुंची इंडियन आइडल के मंच पर तो छलक उठे पवनदीप के आंसू

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देश के सबसे बड़े सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल सीजन 12 में धूम मचा रहे उत्तराखंड के पवनदीप राजन शनिवार को इंडियन आइडल के शो पर उस वक्त भावुक हो उठे जब चंपावत से उनकी मां सरोज राजन इंडियन आइडल के मंच पर पहुंची। उत्तराखंड के ही मशहूर सिंगर जुबिन नौटियाल ने जब मंच पर पवनदीप राजन से उत्तराखंड से एक शानदार तोहफा देने की बात कही तो मंच पर हर कोई हैरान था कि आखिर जुबिन नौटियाल क्या लेकर आए हैं लेकिन थोड़ी देर में ही उस सरप्राइज को देख कर हर किसी के आंखें नम हो गई क्योंकि उत्तराखंड से पवनदीप राजन की मां इंडियन आइडल के मंच पर पहुंचते ही अपने लाल से लिपट गई।

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अपनी वही सीधे-साधे पहाड़ी रिवाज में स्टेज पर पवनदीप की माता सरोज राजन को देखकर हर किसी ने उनकी खूब तारीफ की और पवनदीप ने इस तोहफे के लिए इंडियन आइडल का धन्यवाद किया इस दौरान पवनदीप की मां ने कहा कि पहले तो यह मेरा बेटा था अब पूरे उत्तराखंड का बेटा हो गया है।

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इंडियन आइडल के मंच पर उत्तराखंड के ही दो जबरदस्त सुरीली आवाज मौजूद थी तो दोनों ने शानदार गीत गाकर सबका दिल जीत लिया गौरतलब है कि उत्तराखंड के चंपावत के रहने वाले पवनदीप राजन इंडियन आईडल की सीजन 12 में अपनी सुरीली आवाज के दम पर एक-एक कर नए आयाम छू रहे हैं और उत्तराखंड की जनता उन्हें विनर के रूप में देख रही है देश भर से उनकी फैन फॉलोइंग न सिर्फ बढ़ रही है बल्कि उन्हें लगातार वोट भी कर रही है।

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पवनदीप राजन का जन्म 27 जुलाई 1996 को हुआ उनकी माता सरोज राजन और पिता सुरेश राजन ने अपने बेटे के टैलेंट को बचपन में ही देख लिया था पहली बार पवनदीप राजन ने पहाड़ी गाने गाकर उत्तराखंड के लोगों को अपना दीवाना बनाया इसके बाद अपने आवाज के जादू से वह एंड टीवी के शो द वॉयस ऑफ इंडिया के विनर भी रहे प्राथमिक शिक्षा यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी स्कूल चंपावत से लेने के बाद उन्होंने कुमाऊं विश्वविद्यालय नैनीताल से स्नातक किया, पवनदीप राजन की प्रतिभा पहली बार 1998 में जब उनकी उम्र मात्र 2 साल की थी तब चंपावत में आयोजित कुमाऊ महोत्सव में अपना स्टेज कार्यक्रम प्रस्तुत करते हुए पवनदीप राजन ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का एहसास कराया था उत्तराखंड की पहली लोक गायिका स्वर्गीय कबूतरी देवी के नाती पवनदीप ने कई बॉलीवुड मराठी पहाड़ी क्षेत्रीय कुमाऊनी और गढ़वाली लोक गीतों में अपनी आवाज दी है और देश विदेशों में अब तक सैकड़ों स्टेज शो भी किए हैं।

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