गरमपानी (नैनीताल) -कहते हैं यदि मन में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो रास्ते विपरीत परिस्थितियों से भी निकल कर सामने आते हैं इसी तरह का काम विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले दुरस्त पहाड़ी क्षेत्र की एक कॉलेज की छात्रा ने किया है। पर्वतीय क्षेत्रों में आमतौर पर जंगलों के लिए अभिषाप कहे जाने वाले चीड़ की पत्तियों से गिरने वाला पिरूल स्वरोजगार का घरों की सजावट से माध्यम बन गया है। पिरूल से तैयार की जा रही टोकरियां, फ्लावर पॉट समेत अन्य उत्पाद को सैलानियों के साथ ही स्थानीय लोग बेहद पसंद कर रहे हैं।
रामगढ़ ब्लॉक के ध्वेती गांव निवासी भारती जीना (भूमि) ने पिरूल से टोकरी, पिरुल से टोकरी बनाती भारती फ्लावर पॉट व सजावट के आइटम बनाकर अच्छी आय अर्जित कर रही है। उनकी बनाई पिरूल की टोकरी को बेहद पसंद किया जा रहा है।
भारती का कहना है कि जिस पिरुल को लोग अभिषाप मानते हैं, उसे उन्होंने आय का जरिया बना लिया है। उन्होंने अपने दादा से यह कला सीखी। उन्होंने कहा कि पिरुल से तैयार उत्पादों को प्रदर्शनी में भी लगाया जाता है। भारती हल्द्वानी से संगीत विषय में बीए कर रही हैं। उनके पिता तेज सिंह किसान और मां कमला जीना आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत हैं।
उन्होंने कहा कि अगर सरकार और प्रशासन से सहयोग मिलेगा तो पिरूल से तैयार उत्पादों को बड़े स्तर पर बाजार मिलने से रोजगार भी बढ़ेगा। भारती इंस्टाग्राम में भी काफी फेमस है लाखों लोगों ने उनके वीडियो देखे हैं।
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