बिन्दुखत्ता में वन आरक्षण प्रक्रिया अवैध — अब बन्दोबस्ती की मांग फिर उठी”
हल्द्वानी: बिन्दुखत्ता के ग्रामीणों ने जिलाधिकारी नैनीताल को ज्ञापन देकर वर्ष 1966 में की गई वन आरक्षण अधिसूचना को रद्द करने तथा लम्बित बन्दोबस्ती प्रक्रिया पूर्ण कराने की मांग उठाई है।
ग्रामीणों का कहना है कि तराई पूर्वी वन प्रभाग के खमियां, लालकुआं और गौला ब्लॉकों को बिना बन्दोबस्ती की प्रक्रिया पूर्ण किए आरक्षित वन घोषित किया गया था, जो भारतीय वन अधिनियम, 1927 के प्रावधानों का स्पष्ट उल्लंघन है।
वन अधिकार अधिनियम 2006 भी इसी भावना के तहत पारित किया गया है कि बिना बंदोबस्ती किए आरक्षित की गई भूमि पर पूर्व से निवासरत लोगों के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय का निवारण कर लोगों को मालिकाना हक दिया जा सके, किन्तु बिंदुखत्ता राजस्व ग्राम का दावा जिला स्तरीय समिति द्वारा पारित होने के बावजूद एक वर्ष से शासन स्तर पर लंबित है।
ज्ञापन में कहा गया है कि 1932 से पूर्व से ही बिन्दुखत्ता क्षेत्र में लोग बसासत कर रहे हैं, यहां स्कूल, चरागाह और गोठों की स्थापना भी उस समय की है। वर्ष 1992 और 1994 में शासन स्तर पर बन्दोबस्ती की प्रक्रिया शुरू हुई थी, परंतु अधूरी रह गई।
वनाधिकार समिति के सचिव भुवन चन्द्र भट्ट ने बताया कि डी.एफ.ओ. तराई पूर्वी द्वारा 2020 में भूमि को अनारक्षित करने का प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है, पर निर्णय अभी लंबित है।
ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि इस ऐतिहासिक अन्याय को समाप्त कर बिन्दुखत्ता क्षेत्र की बन्दोबस्ती प्रक्रिया शीघ्र पूरी कराई जाए, ताकि वनाश्रितों के अधिकार सुनिश्चित हो सकें।




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