डिजिटल इंडिया ने सुविधाओं के लिए, लोगों की पहुंच को आसान तो किया, लेकिन इसके साथ मुसीबत में भी दी है. और डिजिटल इंडिया के साथ आई यह मुसीबत है. पहाड़ी राज्य में बड़े बुजुर्गों के साथ-साथ पढ़े-लिखे नौजवानों को भी अपना शिकार बना रही है जी हां हम बात कर रहे हैं बढ़ते हुए साइबर क्राइम की. Digital India
पहाड़ों में घर में पलायन को रोकने का जिम्मा खुद अपने कंधे में उठाए बुजुर्ग आमा-बूबू के फोन की घंटी बजते ही दूसरी तरफ से आवाज आती है कि बैंक से बोल रहे हैं. और सीधे साधे बड़े बुजुर्गों को फोन पर विश्वास दिला कर एटीएम का पिन लेने के साथ-साथ उनके बुढ़ापे का सहारा उनकी पेंशन को अकाउंट से खाली कर साइबर ठगों द्वारा शिकार करने की घटनाएं आम हो गई है. जिसके बाद लोग बैंक के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन साइबर क्राइम शब्द ही पहाड़ के बूढ़े बुजुर्ग लोगों के गले नहीं उतरता. Cybercrime
अब साइबर ठगों ने निकाला नया तरीका
फोन कर लॉटरी लगने का बहाना हो, या फिर एटीएम लॉक हो जाने का कारण बताना हो, इन तरीकों के अलावा भी अब पुलिस की पहुंच से दूर बैठे साइबर ठगों ने नया तरीका इजाद किया है. ये साइबर ठग अब आपके फेसबुक पेज को हैक कर आपके करीबी दोस्तों को खोज रहे हैं. और उनको मैसेंजर से मैसेज भेज अर्जेंट रुपयों की डिमांड कर रहे हैं, यही नहीं इमोशनल ब्लैकमेल कर पेटीएम नंबर या फोन पे या गूगल पे से रुपए लगाकर आप को चूना लगा रहे हैं. ऐसी कई घटनाएं हाल फिलहाल में सामने आई हैं. जिनमें न सिर्फ फेसबुक चलाने वाले युवा ठगे गए हैं बल्कि कई शातिर साइबर ठगों ने तो सरकारी विभाग में काम करने वाले कई बड़े अधिकारियों को तक बड़ी ही आसानी से अपना शिकार बना दिया.
पुलिस के पास केवल जांच का सहारा
अक्सर साइबर ठगी के मामले में पुलिस केस तो दर्ज करती है. लेकिन साइबर ठगों तक नहीं पहुंच पाती कुमाऊ रेंज के डीआईजी जगतराम जोशी का कहना है की ज़्यादातर मामले में खुद की बेवकूफी की वजह से लोग साइबर ठगों के शिकार बने हैं. इसलिए नए नए तरीके के साइबर क्राइम का एकमात्र उपाय है कि किसी भी झांसे में ना आना और यही इसका बचाव भी है.
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