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उत्तराखंड में आपदा के लिए बनेगी युवा सेना, अक्टूबर से शुरू होगा प्रशिक्षण

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देहरादून: पहाड़ों की रग-रग से वाकिफ, हर मोड़ पर चलने की आदत डाले ये युवा अब सिर्फ देश की सेवा के लिए तैनात नहीं होंगे, बल्कि आपदा की घड़ी में सबसे पहले सामने खड़े नजर आएंगे। उत्तराखंड जो भौगोलिक रूप से देश के सबसे आपदा-संवेदनशील राज्यों में गिना जाता है, अब युवाओं को आपदा प्रबंधन की पहली पंक्ति में खड़ा करने जा रहा है।

इस कड़ी में एनसीसी, एनएसएस, नेहरू युवा केंद्र और स्काउट-गाइड जैसे संगठनों से जुड़े 4310 युवाओं को “आपदा मित्र” के रूप में चयनित किया गया है। इनका प्रशिक्षण अगले माह से शुरू किया जाएगा।

पहले पहुंचेंगे आपदा मित्र, फिर बचाव दल

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की पहल पर तैयार की गई यह योजना सिर्फ एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक भरोसा है…..एक गांव, एक युवा, एक जीवनरक्षक।
प्रशिक्षण के बाद ये युवा किसी भी आपात स्थिति में, राहत-बचाव टीमों के पहुंचने से पहले मोर्चा संभाल सकेंगे। इन्हें इमरजेंसी रिस्पांडर किट से लैस किया जाएगा, ताकि ये प्रभावी तरीके से फील्ड में काम कर सकें।

आमजन को भी सिखाएंगे आपदा से निपटने के तरीके

सिर्फ राहत-बचाव ही नहीं, ये युवा गांव-गांव जाकर लोगों को जागरूक भी करेंगे। उन्हें सिखाएंगे कि भूकंप, भूस्खलन, बाढ़ या बादल फटने जैसी परिस्थितियों में कैसे सुरक्षित रहें, और किन सावधानियों से जान-माल की हानि को कम किया जा सकता है।

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राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आईईसी विशेषज्ञ मनीष कुमार भगत के अनुसार ट्रेनिंग के लिए माड्यूल तैयार कर लिया गया है। युवाओं को व्यावहारिक और सैद्धांतिक दोनों ही स्तर पर प्रशिक्षित किया जाएगा।

जिलों में तैयार हो रही युवा फौज

आपदा मित्रों का चयन जिलेवार किया गया है….ताकि स्थानीय परिस्थियों के अनुरूप प्रशिक्षण और तैनाती हो सके। देहरादून जिले में सबसे अधिक 800 युवा (चारों संगठनों को मिलाकर) तैयार हो रहे हैं, वहीं अल्मोड़ा, नैनीताल, पौड़ी और टिहरी जैसे जिलों से भी सैकड़ों युवा इस अभियान का हिस्सा बनेंगे।

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जिलेवार आंकड़े कुछ इस प्रकार हैं:

जिलाएनसीसीएनएसएसनेहरू युवा केंद्रस्काउट-गाइडकुल
देहरादून300150150200800
अल्मोड़ा200100100120520
टिहरी20010010090490
नैनीताल200100100100500
पौड़ी20010010050450
अन्य जिले1550

“योजना को जमीनी स्तर पर उतारने का समय आ गया है”

आपदा प्रबंधन सचिव विनोद कुमार सुमन ने बताया कि हमारा प्रयास है कि अगले माह से चरणबद्ध तरीके से प्रशिक्षण की शुरुआत की जाए। हर जिले में स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंधन टीमें मिलकर इन युवाओं को तैयार करेंगी।


जब मदद की सबसे ज्यादा जरूरत होगी, तब सबसे पहले नजर आएंगे ये ‘आपदा मित्र’

उत्तराखंड की कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में ये प्रशिक्षित युवा सिर्फ राहत का चेहरा नहीं होंगे — ये आशा की पहली किरण होंगे।

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