शत्रु जब अदृश्य हो,
न तुम्हारे पास कोई शस्त्र हो।
जीतना ही है तुम्हे इस युद्ध को,
इक आश में तुम जी रहे हो।
तब उठाना जलते दीपक को,
मिटा देना मन के भय को।
हराना तो पहले इस भय को है,
फिर जीतना इस जंग को है।
दिखा देंगे इस दुनिया को,
एकता में क्या ताक़त है।
कई दौर देखे हैं हमने,
ये कौन सी नयी आफ़त है ।
हरेंद्र रावत


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2 thoughts on “ये कौन सी नयी आफ़त है..”
Comments are closed.
ये कोई आफत नहीं हैं, धरती अपने रंग में लौट रही है।
वहीं सुहाना मौसम ,वहीं खूबसूरत दिन लौट आए हैं।।
bilkul