देहरादून: राज्य गठन के बाद से सहकारिता विभाग ने उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। 25 वर्षों में विभाग ने किसानों, महिलाओं, काश्तकारों, कारीगरों और युवाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में कई प्रभावी योजनाएं चलाईं…जिससे पलायन पर रोक लगाने में भी मदद मिली।
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना और माधो सिंह भंडारी सहकारी सामूहिक खेती योजना जैसी अभिनव योजनाओं ने सहकारिता को जनआंदोलन का रूप दिया। राज्य की सभी पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण कर पारदर्शिता और तकनीकी दक्षता बढ़ाई गई।
सहकारिता में सुधार और विस्तार
राज्य गठन के समय जहां सहकारिता विभाग में 528 पद स्वीकृत थे वहीं अब यह संख्या बढ़कर 607 हो गई है। सहकारी समितियों की संख्या 1800 से बढ़कर 6346 तक पहुंच गई है। जिला सहकारी बैंकों की शाखाएं भी 207 से बढ़कर 330 हो चुकी हैं। विभाग ने संस्थागत सुधारों के तहत सहकारी संस्थागत सेवामंडल, सहकारी न्यायाधिकरण और सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण का गठन किया है।
पारदर्शी भर्ती और मानव संसाधन सशक्तिकरण
सहकारिता विभाग में पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया के तहत वर्ष 2018-19 में पहली बार आईबीपीएस के माध्यम से प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित कर 597 अभ्यर्थियों को नियुक्त किया गया। इसके अलावा 475 कार्मिकों को सीधी भर्ती, राज्य आंदोलनकारी और मृतक आश्रित कोटे से नियुक्त किया गया।
ब्याजमुक्त ऋण से 11 लाख लोगों को लाभ
दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत वर्ष 2017 से सितंबर 2025 तक 11,34,434 लाभार्थियों और 6,413 स्वयं सहायता समूहों को 6,957.88 करोड़ का ब्याजमुक्त ऋण वितरित किया गया। इस योजना से किसानों को कृषि के लिए ₹1 लाख, कृषियेत्तर कार्यों के लिए 3 लाख और स्वयं सहायता समूहों को ₹5 लाख तक का ब्याजमुक्त ऋण मिल रहा है।
किसानों की उपज खरीद में बढ़ोतरी
राज्य सहकारी संघ ने 239 खरीद केंद्रों के माध्यम से किसानों से 67,171.92 क्विंटल मिलेट्स खरीदी और इसके बदले किसानों को ₹26.52 करोड़ का भुगतान किया।
घस्यारी योजना से महिलाओं को राहत
मुख्यमंत्री घस्यारी कल्याण योजना के तहत 11 जिलों में 182 सहकारी समितियों द्वारा अब तक 5.55 लाख मैट्रिक टन सायलेज वितरित किया गया, जिससे 54 हजार महिलाओं को सीधा लाभ मिला।
सामूहिक खेती से उपजा नया भरोसा
माधो सिंह भंडारी सहकारी सामूहिक खेती योजना के तहत पलायन से बंजर हुई 1235 एकड़ भूमि पर अब 2400 किसान 24 सहकारी समितियों के माध्यम से संयुक्त खेती कर रहे हैं।
स्थानीय उत्पादों से सीमांत क्षेत्र आत्मनिर्भर
वाइब्रेंट विलेज योजना के अंतर्गत स्थानीय सहकारी समितियां आईटीबीपी और भारतीय सेना की वाहिनियों को उचित मूल्य पर स्थानीय उत्पाद जैसे बकरी, भेड़, मछली, फल-सब्जियां आदि उपलब्ध करा रही हैं।
तकनीकी रूप से आधुनिक बनी सहकारिता
राज्य की 670 पैक्स समितियों का कंप्यूटरीकरण पूरा कर दिया गया है। उत्तराखंड के इस मॉडल को देखकर केंद्र सरकार ने देशभर में पैक्स कंप्यूटरीकरण योजना लागू की है।
ग्रामीण सेवाओं का विस्तार
राज्यभर में 23 एम-पैक्स समितियां जन औषधि केंद्रों के रूप में काम कर रही हैं, जबकि 650 समितियां जन सुविधा केंद्र (CSC) के रूप में संचालित हो रही हैं। साथ ही 478 पैक्स समितियों में प्रधानमंत्री समृद्धि केंद्र खोले गए हैं, जहां किसानों को उर्वरक की उपलब्धता सुनिश्चित की जा रही है।
महिला सशक्तिकरण में नई पहल
सहकारी समितियों और बैंकों की प्रबंध समितियों व अध्यक्ष पदों पर महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। यह राज्य में महिला सशक्तिकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
सहकारी बैंकों का एनपीए घटा
ठोस रणनीति और पारदर्शी कार्यप्रणाली के चलते सहकारी बैंकों का शुद्ध एनपीए 4838.16 लाख रुपये से घटकर अब 690.30 लाख रुपये रह गया है।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य सरकार सहकारी संस्थाओं के कार्यों में पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन सुनिश्चित कर सहकारिता को जन आंदोलन के रूप में विकसित कर रही है। सहकारिता के माध्यम से आत्मनिर्भर उत्तराखंड के लक्ष्य को साकार करने का हमारा संकल्प अटल है।
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