तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी दो दिवसीय नेशनल कांफ्रेंस का शुभारंभ

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भारतीयों की मेधा का दुनिया में डंका, लक्ष्य पर करें फोकस: कुलाधिपति

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के एफओईसीएस में रिसेंट ट्रेंड्स ऑन इन्नोवेशन्स इन सिविल एंड मेकैनिकल इंजीनियरिंग पर दो दिनी नेशनल कॉन्फ्रेंस का शंखनाद

ख़ास बातें
मुरादाबाद स्मार्ट सिटी के 39 प्रोजेक्ट्स में से 03 मुकम्मल: चीफ इंजीनियर

प्रोफेशनल दो प्रकार के होते हैं – आई शेप और टी शेप : प्रो. रघुवीर

समाज कल्याण के लिए सिस्टम के चार मापदंड प्रमुख, इन्हें संजीदगी से लें: संजय पंत

डिजाइजिंग इंजीनियर मशीन लर्निंग से किसी भी निर्माण स्थल में विफलता का जोखिम कम: प्रो. द्विवेदी

फर्स्ट डे यूपी समेत 08 सूबों के 17 रिसर्चर्स ने पढ़े अपने पेपर्स

प्रो.श्याम सुंदर भाटिया/डॉ. संदीप वर्मा

तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन ने कहा, भारतीय मेधा बेमिसाल है,इसीलिए दुनिया हमारे युवाओं का लोहा मानती है। ऐसे में युवा अपने टारगेट्स से न भटकें,बल्कि अपने लक्ष्यों पर फोकस करें। छात्रों से मुखातिब होते हुए बोले, यह नेशनल कॉन आपके जीवन में मील का पत्थर साबित होगी।यदि विद्वानों के अनुभव को सुनने और सीखने का अवसर खो दिया तो यह केवल आपका नुकसान होगा। आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आपके माता-पिता ने आपको कितने बलिदान करके यहां सीखने के लिए यहां भेजा है। उन्होंने कहा कि भारतीय लोग विदेशों में अत्याधिक सफल हैं, क्योंकि उनमें वहां के लोगों की तुलना में काम करने की अधिक क्षमता है। साथ ही सलाह दी, छात्रों को अपने स्नातक के समय में अपने कैरियर के प्रति स्वार्थी होना चाहिए। उन्होंने एक शेर के जरिए छात्रों को सावधान करते हुए कहा..पहुँच गए जो मंजिल पे, उनको नहीं गुरूर-ए-सफर… जो चार कदम चले नहीं, रफ़्तार की बातें करते हैं…। कुलाधिपति श्री जैन फैकल्टी ऑफ इंजीनियरिंग एंड कम्प्यूटिंग साइंसेज – एफओईसीएस की ओर से रिसेंट ट्रेंड्स ऑन इन्नोवेशन्स इन सिविल एंड मेकैनिकल इंजीनियरिंग पर आयोजित दो दिनों नेशनल कॉन्फ्रेंस में बोल रहे थे। इससे पूर्व अतिथियों का बुके देकर वॉर्म वेलकम किया गया। अंत में मेहमानों को स्मृति चिन्ह भी भेंट किए गए। यह कॉन्फ्रेंस ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में हो रही है। कॉन्फ्रेंस का शुभारंभ टीएमयू के कुलाधिपति श्री सुरेश जैन की गरिमामई मौजूदगी में बतौर मुख्य अतिथि मुरादाबाद महानगर- स्मार्ट सिटी प्रोजेट के मुख्य अभियंता श्री एके मित्तल, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, एफओईसीएस के निदेशक प्रो. आरके द्विवेदी, टीएमयू के रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा और टीएमयू की एसोसिएट डीन एकेडेमिक्स प्रो. मंजुला जैन, कॉन्फ्रेंस कन्वीनर एवं सिविल इंजीनियरिंग के विभागाध्यक्ष प्रो. आरके जैन, मेकैनिकल इंजीनियरिंग के कोऑर्डिनेटर श्री हरीश कुमार ने माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवलित करके किया। कॉन्फ्रेंस में टीएमयू के बोर्ड ऑफ गवर्नेंस के सम्मानित सदस्य श्री अक्षत जैन की उल्लेखनीय मौजूदगी रही, जबकि भारतीय मानक ब्यूरो, नई दिल्ली के उप महानिदेशक मानकीकरण-II (एजीएम-क्यूसी) इंजीनियर श्री संजय पंत बतौर विशिष्ट अतिथि ऑनलाइन मौजूद रहे। काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी, यूपी के साइंटिफिक ऑफिसर डॉ. अश्वनी कुमार बतौर आब्जर्वर भी उपस्थित थे।अतिथियों ने कॉन्फ्रेंस प्रोसीडिंग का भी विमोचन किया। सिविल इंजीनियरिंग फ़ाइनल ईयर की नेहा सिंह पटेल, महक जैन और अभि जैन ने णमोकार मंत्र और सरस्वती वंदना की सुंदर प्रस्तुति से सभी का दिल जीत लिया। संचालन सीनियर फैकल्टी मिस इन्दु त्रिपाठी ने किया।

स्मार्ट सिटी लिमिटेड- एमएससीएल के मुख्य अभियंता श्री एके मित्तल ने बतौर मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्मार्ट सिटी अभियान की चर्चा करते हुए कहा, पूरे भारत में चयनित कुल सौ शहरों में मुरादाबाद का चयन चौथे चरण में हुआ है। मुरादाबाद के लिए इस परियोजना की लागत 825 करोड़ रूपए है। इस योजना में शुमार 39 परियोजनाओं में तीन पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने स्मार्ट सिटी के ब्लू प्रिंट पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा, शाही तिराहे से लेकर टाउन हाल तक बाजार का जीर्णोद्धार, सुन्दर गलियारा और सड़क चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है। स्मार्ट शौचालय 17 स्थानों पर स्थापित किया गया है, जहां ऑटो लाइटनिंग और ऑटो फ्लशिंग सिस्टम स्थित हैं।17 सरकारी भवनों को भूमिगत जल संग्रहण के लिए चुना गया है। विभिन्न उपयोग के लिए सौर प्रणाली प्रदान करने के लिए शहर में 25 स्थानों का चयन किया गया है। इलेक्ट्रिक बस सेवा के तहत दिसंबर से 25 बसें जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होंगी, जो कम शोर और प्रदूषण में अत्यधिक प्रभावी हैं। वायु गुणवत्ता निगरानी प्रणाली के तहत 24 घंटे काम करने वाले उपकरणों से हवा का नमूना प्राप्त करने के लिए 5 स्थानों का चयन किया गया है। इसका औसत वायु गुणवत्ता का मूल्य तय करेगा। छात्रों के लिए ई बाइक परियोजना भी इसमें शामिल है। कम किराए पर ई रिक्शा के लिए चार्जिंग प्वाइंट या स्टेशन भी होंगे। 35 स्थानों पर मुफ्त वाई-फाई, आपातकालीन कॉल के लिए 57 स्थान, संदेश प्रदर्शन बॉक्स, 37 स्थानों पर लाउडस्पीकर का उपयोग करके सार्वजनिक पता प्रणाली, इत्यादि का भी प्रावधान हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी में अंतःविषय प्रवृत्तियों पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देते हुए कहा, जो विभिन्न सरकारी परियोजनाओं को संभव बनाने में कारगर हैं।

टीएमयू के कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह ने कहा, अंतःविषय प्रवृत्ति को अपनाकर इंजीनियरिंग रखरखाव की समस्याओं को हल किया जा सकता है। पेशेवर दो प्रकार के होते हैं। एक है- आई शेप, जहां हम समस्या को हल करने के लिए अपने मस्तिष्क के सतही ज्ञान का उपयोग करते हैं, दूसरा- टी शेप ,जहां किसी भी औद्योगिक रखरखाव समस्या को हल करने के लिए गहन ज्ञान की आवश्यकता होती है। हाल के दशकों में इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल और सिविल इंजीनियरिंग की भागीदारी जैसे अंतःविषय दृष्टिकोण का बहुत महत्व है, लेकिन वर्तमान परिदृश्य में कंप्यूटर प्रोग्रामिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग जैसी तकनीक की भागीदारी ने औद्योगिक और इंजीनियरिंग क्षेत्र के बारे में लोगों के दृष्टिकोण को बदल दिया है। साथ ही सॉफ्ट स्किल टेक्नोलॉजिस्ट को यह जानने में मदद करती है कि अलग-अलग लोगों को कैसे हैंडल करना है। तीर्थंकर महावीर विश्वविद्यालय छात्रों को अपने कैरियर और उज्जवल भविष्य में खुद को विकसित करने के लिए इन अंतःविषय कौशल को सीखने का बड़ा अवसर प्रदान करता है।

भारतीय मानक ब्यूरो, नई दिल्ली के उप महानिदेशक मानकीकरण-II (एजीएम-क्यूसी) इंजीनियर श्री संजय पंत ने बतौर विशिष्ट अतिथि ऑनलाइन बोलते हुए कहा, भारतीय मानक ब्यूरो में 32 साल के अपने कैरियर में उन्हें पहली बार सिविल और मैकेनिकल इंजीनियरिंग सहित अंतःविषय सत्र के इस तरह के कार्यक्रम को संबोधित करने का अवसर मिला है। उन्होंने समाज के कल्याण के लिए किसी भी प्रणाली को उपयोगी बनाने के लिए उसके कुछ महत्वपूर्ण मापदंडों पर जोर दिया। सबसे पहले किसी भी प्रणाली की कार्यप्रणाली उसके उचित डिजाइन और योजना के आधार पर होती है। दूसरा, अग्नि सुरक्षा, विद्युत सुरक्षा और भूकंप जैसी आपदा के संबंध में सुरक्षा। तीसरा, सभी मनुष्यों जैसे कम आयु वर्ग के बच्चों के साथ-साथ अधिक उम्र के व्यक्ति जैसे उनके जीवन के 90 के दशक में प्रणाली की पहुंच है। चौथा है, जेंडर सेंसिटिविटी, जो किसी भी स्वस्थ समाज के लिए बहुत जरूरी है। सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर स्थिरता है, जिसका अर्थ है कि हमें किसी भी प्रणाली के विकास के लिए ऐसी सामग्रियों का उपयोग करना होगा। किसी भी देश के विकास के लिए दो स्तंभ हैं। एक भूमि विकास ,जबकि दूसरा इष्टतम भवन डिजाइन। वेंटिलेशन, रोशनी, शोर नियंत्रण और विभिन्न कार्यों को प्रभावी ढंग से करने के लिए मैकेनिकल इंजीनियरिंग की भागीदारी अति महत्वपूर्ण है।

एफओईसीएस के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. आरके द्विवेदी ने सभी मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा, निर्माण क्षेत्र में अब सेल्फ हीटिंग एलिमेंट्स, थर्मल और काइनेटिक टूल मटीरियल, मॉड्यूलर कंस्ट्रक्शन इत्यादि जैसी अवधारणाएं विकसित हो रही हैं। आईओटी आधारित कार्य और मशीन से मशीन संचार निर्माण की जटिलता को काफी कम कर देता है। डिजाइनिंग इंजीनियर मशीन लर्निंग किसी भी निर्माण स्थल में विफलता के जोखिम को कम करता है। कॉन्फ्रेंस के पहले दिन तकनीकी ट्रैक सत्र के दौरान यूपी, एमपी, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक, हरियाणा के कुल 17 शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़े। अंत में प्रो. एस आर अली ने सभी का हार्दिक आभार व्यक्त किया।

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