International Womens Day पढ़िए हल्द्वानी की सुमनलता की कहानी जिसने खुद को ऐसे साबित किया.

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‘मंजिल उनको मिलती है जिनके सपनों में जान होती है’ ‘पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है’ जी हां इस कहावत को सच कर दिखाया है हल्द्वानी की रहने वाली दिव्यांग महिला सुमनलता ने, जो दिव्यांग होते हुए खुद खड़ा नही हो पाती लेकिन उन महिलाओ को खड़ा करने का प्रयास कर रही है जो खुद कुछ करने चाह रखती है, और ज़िन्दगी में आगे बढ़ने की चाह रखते हुए काम सीखकर उसी काम को अपनी आर्थिकी जरिया भी बना रही है, विश्व महिला दिवस पर एक रिपोर्ट……. International Women’s Day

हल्द्वानी की रहने वाली सुमनलता खुद दिव्यांग होकर कई बेसहारा महिलाओं औऱ बच्चों को ट्यूशन, ब्यूटी पार्लर,
सिलाई-कढ़ाई सहित कई रोजगारपरक ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बना रहीं हैं। बड़ी संख्या में महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उनकी मदद कर चुकी हैं। हल्द्वानी के ग्राम डहरिया में अपने ट्रेनिंग सेंटर में करीब 10 साल से वे निरंतर बिना किसी सरकारी मदद के समाज सेवा करती आ रही हैं। मुख्यमंत्री से लेकर अन्य बड़े जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाने के बावजूद कोई सहायता नहीं उपलब्ध नही हो पायी लिहाज़ा सुमनलता ने उन महिलाओ के लिए कुछ करने की ठान ली जो बेसहारा थी, अब सुमनलता दिव्यांग होने के बावजूद महिलाओ को सिलाई, कढ़ाई, पेंटिंग समेत अन्य रोज़गारपरक ट्रेनिंग दे रही है जिससे बेसहारा महिलाओ को कही भटकने की आव्श्यकता ही ना पड़े, सुमनलता के जीवन का संघर्ष देखिए इस वीडियो में..International Women’s Day

सुमनलता गावो की बेरोज़गार महिलाओ को ट्रेनिंग देकर आत्मनिंर्भर बनाने का प्रयास कर रही हैं, सुमनलता के मुताबिक महिलाओ को आत्मनिर्भर बनने की कोशिश करनी चाहिए जिससे वे अपनी आर्थिकी भी मजबूत कर सके और परिवार की देखभाल भी कर सके,

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स्थानीय लोगो के मुताबिक अपने दिव्यांग होने के बावजूद सुमनलता ने हिम्मत नही हारी और पिछले 11 सालो में करीब 4 से 5 हज़ार महिलाओ को रोज़गारपरक ट्रेनिंग दे चुकी है जो कई महिलाओ लिए मिशाल बनकर सामने आई है, International Women’s Day

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सुमनलता जब 2 साल की थी तब उन्हें बीमारी के दौरान एक इंजेक्शन लगा और वह पैरालाइज हो गई बावजूद इसके सुमन ने कभी हिम्मत नहीं हारी, सुमन की इस काबिलियत पर उसके माता-पिता को गर्व हैँ, और वह चाहते हैं कि सुमन अपनी जिंदगी में बढ़ी ऊंचाइयों को छुये। International Women’s Day

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शारीरिक अक्षमता जब इंसान पर हावी होती है तब इंसान अपने आप को समाज और अपने परिवार पर बोझ समझने लगता है, और कही ना कही अवसाद और अकेलपन में खोया रहता है,लेकिन सलाम है सुमनलता के उस जज्बे को जो उन्हे आगे बढ़ने और समाज के लिए कर गुज़रने की ताकत देता है,

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