नैनीताल- उत्तराखंड के क्वॉरेंटाइन सेंटरों की बदहाल व्यवस्था पर दायर अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह सभी निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट का अवलोकन करें और 31 अक्टूबर तक अलग-अलग रिपोर्ट न्यायालय में पेश करें। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि निगरानी कमेटियों ने जब अस्पतालों की निगरानी की तो एम्स ऋषिकेश के निदेशक और सुशीला तिवारी अस्पताल प्रबंधन के डॉक्टर्स, स्टाफ और नर्सों की कमियां देखने को मिली ।
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उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दुष्यंत मैनाली और देहरादून निवासी सच्चिदानंद डबराल ने कोरेंटिन सेंटरों और कोविड अस्पतालों की बदहाली और उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों की मदद और उनके लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने को लेकर उच्च न्यायालय में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की थी। बदहाल क़वारन्टीन सेंटरों के मामले में पूर्व में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट न्यायालय में पेश की थी। इसमें माना गया था कि उत्तराखंड के सभी क़वारन्टीन सेंटर बदहाल स्थिति में है। सरकार की ओर से वहां पर प्रवासियों के लिए कोई उचित व्यवस्था नहीं की गई है । मामले की सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति रविंद्रन मैठाणी की खंडपीठ में हुई।
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