उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने हवाई सेवा से आने वाले प्रवासियों के मामले की जनहित याचिका में केन्द्र और राज्य सरकार के अलावा मुख्य सचिव और नागरिक उड्डयन सचिव को आदेश जारी कर कहा है की यात्रियों को जबरन पेड(नकद भुगतान)वाले क्वारंटीन में न भेजे बल्कि यात्रियों की सहमति से ही उन्हें पेड या सरकारी क्वारंटीन सेंटरों में भेजा जाए।
मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन और न्यायमूर्ति रमेश चंद्र खुल्बे की खण्डपीठ ने देहरादून निवासी उमेश कुमार की जनहित याचिका पर सुनवाई की ।याचिका में कहा गया है की राज्य सरकार ने हवाई जहाज से आने वाले प्रवासियों के साथ भेदभाव किया है। सरकार की ओर से यहां आने वाले प्रवासियों को क्वारंटीन के नाम पर होटलों में रखा जा रहा है और उनके ठहरने और खाने पीने का खर्चा उनसे वसूला जा रहा है । जबकि अन्य यात्रियों का खर्चा राज्य सरकार खुद वहन कर रही है जो कि गलत है ।याचिकाकर्ता की ओर से इस मामले में केन्द्र व राज्य के साथ साथ प्रदेश के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, नागरिक उड्डयन सचिव और देहरादून के जिलाधिकारी को पक्षकार बनाया गया था। न्यायालय ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए केन्द्र और राज्य सरकार के अलावा मुख्य सचिव और नागरिक उड्डयन सचिव को आदेश जारी कर कहा है की यात्रियों को जबरन पेड(नकद भुगतान)वाले क्वारंटीन में न भेजे बल्कि यात्रियों की सहमति से ही उन्हें पेड या सरकारी क्वारंटीन सेंटरों में भेजा जाए।
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