नैनीताल- उत्तराखंड उच्च न्यायालय में दून इंस्टिट्यूट ऑफ मैडिकल साइंस द्वारा बड़ी हुई फीस जमा नहीं करने पर मुख्य परीक्षा में छात्रों को बैठने से रोके जाने के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ ने विद्यार्थियों के हितों को देखते हुए उन्हें परीक्षा में बैठाने के आदेश जारी किए हैं।
उत्तराखंड- 3 अरब की लागत से बना ये पुल जनता को होगा समर्पित, जानिए बनने में कितना लगा समय
मामले के अनुसार बिंद्रा खत्री व अन्य ने याचिका दायर कर कहा था कि दून इंस्टिट्यूट ऑफ मैडिकल साइंस द्वारा एक आदेश जारी कर बी.एम.एस.के छात्रों का शुल्क ₹80,000/= से बढ़ाकर ₹2,15,000/= कर दिया गया था । इसके विरुद्ध विद्यार्थियों ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। उच्च न्यायालय ने पूर्व में अपीली प्राधिकरण के आदेशों को असंवैधानिक ठहराते हुए रोक लगा दी थी।
परन्तु महाविद्यालय ने इन आदेशों को ताक पर रखकर विद्यार्थियों से बढ़ा हुआ शुल्क वसूला और जिन छात्रों ने इसका विरोध किया उनको पूरक एवं मुख्य परीक्षा में बैठने से रोक दिया। उच्च न्यायालय ने विद्यार्थियों को ₹50,000/= शुल्क जमा करने का आदेश दिया और कॉलेज प्रशासन से विद्यार्थियों को पूरक एवं मुख्य परीक्षा में शामिल कराने को कहा। कॉलेज प्रशासन ने न्यायालय के आदेशों को दरकिनार करते हुए विद्यार्थियों को मुख्य परीक्षा में बैठने से रोक दिया जिसे देखते हुए आज एकलपीठ ने उन्हें परीक्षा में बैठाने के आदेश दिए ।
हल्द्वानी- उत्तराखंड महोत्सव इस तारीख से, ऑनलाइन कुमाऊंनी भाषण प्रतियोगिता में ऐसे करें प्रतिभाग
अपने मोबाइल पर ताज़ा अपडेट पाने के लिए -
👉 व्हाट्सएप ग्रुप को ज्वाइन करें
👉 यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करें
हमारे इस नंबर 7017926515 को अपने व्हाट्सएप ग्रुप में जोड़ें