देहरादून: सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के कौन-कौन से डॉक्टर निजी अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं इसकी जांच होगी। सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने डीजी हेल्थ और निदेशक चिकित्सा शिक्षा को इसके निर्देश दिए हैं।
दरअसल, दून अस्पताल के एक एसोसिएट प्रोफेसर पर प्राइवेट अस्पताल में भागीदारी के आरोप लगे हैं। जिसके बाद सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार ने इस संदर्भ में जांच कराने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी डॉक्टरों और फैकल्टी का प्राइवेट अस्पताल में हिस्सेदारी लेना या इलाज करने जाना गलत है। उन्होंने कहा कि राज्य के अलग-अलग हिस्सों से कई बार ऐसी शिकायतें मिलती है। इसलिए ऐसे सभी मामलों की जांच कराने का निर्णय लिया गया है।
देहरादून। भाजपा नेता रविंद्र जुगरान ने मंगलवार को सचिवालय में सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर राजेश कुमार से मुलाकात कर दून मेडिकल कॉलेज व अन्य अस्पतालों में तैनात सरकारी डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि जब देहरादून में डॉक्टर ऐसा कर रहे हैं तो राज्य के अन्य हिस्सों की स्थिति समझी जा सकती है। उन्होंने शिकायत की कि कई डॉक्टर अपनी ड्यूटी से नदारद रहते हैं और उनके स्थान पर इंटर्न डॉक्टर मरीजों को देखते हैं। इस वजह से मरीजों को नुकसान हो रहा है। कई सरकारी डॉक्टर सरकार से अच्छा खासा वेतन लेने के बाद भी निजी नर्सिंग होम के साथ सांठगांठ कर जनता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई भी सरकारी डॉक्टर अस्पताल छोड़ प्राइवेट अस्पतालों में प्रैक्टिस न करे। उन्होंने बताया कि सचिव स्वास्थ्य ने आश्वासन दिया कि इस मामले में सख्त कदम उठाए जाएंगे। में यह पता लगाया जाए कि कितने डॉक्टर नियमित रूप से प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं।
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