गर्दिश ए वक्त की, समझो तुम चाल,
फिरकापरस्ती जुबान की, मत बनो ढाल,
जल जाओगे आपस में, गर खुद को नहीं रोका,
रेहमतें अमन को रखो, संग संभाल,
यह वतन है तुम्हारा, तुम भी इसी वतन के,
दोस्ती सलामत रख, बनो अमन की ढाल,
हिंसा नहीं कोई रास्ता, दरमियांने अमन के,
आसमानी धुआं भी, अब हो रहा है लाल।।
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