कुण्डल/(ओखलकाण्डा)/जनपद नैनीताल के ओखलकाण्डा क्षेत्र में डालकन्या के निकट कुण्डल गाँव में स्थित आमा का थॉन आस्था व भक्ति का महासगंम है। यहाँ शक्ति की पूजा बड़े ही श्रद्धा के साथ परमेश्वरी आमा के रुप में की जाती है। स्थानीय जनमानस में यह मान्यता है, कि जो भी श्रद्धालु यहाँ पहुंचकर अपने आराधना के पावन पुष्प आमा के चरणों में भक्ति- भाव से अर्पित करता है,उसके समस्त मनोरथ पूर्ण होते है। समूचे उत्तराखण्ड़ में 🌹यही एक मात्र ऐसा मन्दिर है।जहाँ परमेश्वरी का पूजन आमा के रुप में किया जाता है।
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🌹क्षेत्र के आस्थावान भक्त लाल सिंह बिष्ट के अनुसार आसपास के गाँव ङालकन्या अधोड़ा, डुगरी, अमजड, मिडार, ल्वाड़, डोबा, गौनियारों, हरीशताल, झड़गाँव, गरगड़ी, कालागर क्वैराला, टीमर बैडौन, चमोली, करायल, जमराड़ी पैटना, रैकुना, पोखरी, मटेला, भनपोखरा, पश्याकोड़ार, देवली, तुषराड़ ,कुकना, कैड़ागाँव, ढोलीगाँव, पदमपुर, गल्पाधुरा, नैथनककोड़, पटरानी, कौन्ता, धारी, रामगढ़, भीमताल, मुक्तेश्वर, सहित ओखलकाण्डा ब्लाक के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों की गहरी आस्था है
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🌹हिमालय के आंचल में स्थित आस्था व ओज की धरती ओखलकाण्डा ब्लाक का कुण्डल गाँव सौंदर्यं की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है, इस क्षेत्र का भ्रमण करते हुए जो आध्यात्मिक अनूभूति होती है वह अपने आप में अद्भूत है।पर्यटन की दृष्टि से भी यह भूभाग महत्वपूर्ण है यहां का भ्रमण श्रेष्ठ एंव सन्तोष प्रदान करने वाला है।
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यह क्षेत्र अपने आप में असीम 🌹प्राकृतिक सौदर्य समेटे हुए बरबस पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करनें में समर्थ है।धर्म दर्शन और अध्यात्म के साधक यहां आकर मनोशांति प्राप्त करते है। अटूट आस्था की धरती आमा थॉन से अनेकों दंतकथाये जुड़ी हुई है।एक बार यहां आकर आगन्तुक सदा के लिए कुण्डल गाँव की आमा को हृदय में बसा कर अमिट यादें लेकर लौटता है।यहाँ की पर्वत मालाएं अनेकों सिद्व सन्तों की तपोभूमि के रुप में प्रसिद्व रही है।दूर दराज इलाकों से भक्तजन यहां आते- जाते रहते है,रमणीक पहाड़ी में स्थित इस मन्दिर क्षेंत्र के चारों ओर पर्वत श्रृखंलाओं में भातिं – भांति के वृक्ष वन्यजीर्वों की चहलकदमी का नजारा प्रकृति प्रेमियों को आपार सकून प्रदान करता है।यहां की शान्त वादियों में साधक अपनी साधना की गति को नई ऊंचाइयो की ओर ले जाते है इस मनभावन मन्दिर की महिमा भी अलौकिकता व दिव्यता को अपनें आंचल में समेटे हुए है। मार्ग की जटिलता के बावजूद उत्साह के साथ लोग आमा के आशीष की कामना को लेकर यहां खीचें चले आते है।
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🌹यदि इस स्थान तक आवागमन की सुविधा व बेहतर मार्ग का निर्माण हो जाएं तो यह मन्दिर आध्यात्मिक जगत में काफी लोकप्रियता की ऊंचाइंयों को छू सकता है। 🌹आमा का यह थान जनपद नैनीताल के सबसे प्राचीन मंदिरों में एक है। इस स्थान को देवी स्थली के नाम से भी पुकारा जाता है। हल्द्वानी से यहाँ की दूरी लगभग सौ किलोमीटर के लगभग है।
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