उत्तराखंड -(साहित्य) ‘कौंव मनक काथ-क्वीड़’ पुस्तक का विमोचन

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कौंव मनक काथ-क्वीड़’ पुस्तक का विमोचन

अल्मोडा, सोबन सिह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा स्थित जन्तु विज्ञान विभाग सभागार में वरिष्ठ कुमाउनी साहित्यकार महेन्द्र ठकुराठी और कुमाउनी भाषा की सहायक प्रोफेसर डॉ०
आशा शैली के संयुक्त संपादन में प्रकाशित कुमाउनी कहानी संकलन ‘कौंव मनक काथ-क्वीड़ पुस्तक का विमोचन किया गया।


परफेक्ट राइटर पब्लिकेशन दिल्ली से प्रकाशित हुई ‘कौंव मनक काथ-क्वीड़’ कुमाउनी भाषा में प्रकाशित 238 पृष्ठों की एक ऐसी पुस्तक है, जिसमें कुमाउनी साहित्य के लिए सृजनरत
बयालीस महिला रचनाकारों की प्रतिनिधि कहानियां संकलित हैं।

अल्मोड़ा में विगत चौदह वर्षों से अनवरत प्रकाशित हो रही कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘पहरू के प्रबन्ध संपादक महेन्द्र ठकुराठी और एस. एस.जे. विश्वविद्यालय में कुमाउनी भाषा विभाग का जिम्मा देख रही असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० आशा शैली को जब यह लगा कि कुमाउनी दुदबोली के विकास के लिए यहां की मातृशक्ति भी बहुत बड़ी तादाद में बढ़-चढ़कर भागीदारी निभा रही हैं, तो इन दोनों साहित्यकर्मियों ने मिलकर इन महिलाओं द्वारा लिखी गई कहानियों के दस्तावेजीकरण का बीड़ा उठाया।


विमोचन के अवसर पर दुदबोली के महत्व पर प्रकाश डालते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ० जगत सिंह बिष्ट ने कहा कि कौंव मनक काथ-क्वीड़ कुमाउनी भाषा साहित्य के क्षेत्र में एक नवीन प्रयोग है। यह पुस्तक नई पीढ़ी के रचनाकारों के लिए प्रेरणादायक सिद्ध होगी।


अपने विचार प्रकट करते हुए असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० गोकुल दयौपा ने ‘कौंव मनक काथ-क्वीड़’ शीर्षक का हिन्दी में अर्थ समझाते हुए कहा कि वास्तव में ही यह पुस्तक कुमाउनी नारियों के कोमल मन की कथा और व्यथा को उकेरने वाला दस्तावेज है। इसे ज्यादा से ज्यादा पढा जाना चाहिए।

इस अवसर पर बोलते हुए साहित्यकार महेन्द्र ठकुराठी ने बताया कि इस पुस्तक में सन 1938
से लेकर अब तक की विभिन्न कुमाउनी पत्र-पत्रिकाओं में छपी महिला रचनाकारों की
कहानियों को संकलित किया गया है। ज्ञातव्य है सर्वप्रथम सन 1938 से तीन वर्ष तक अल्मोड़ा में पहली कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘अचल’ का प्रकाशन हुआ था। विमोचन के अवसर पर डॉ० प्रीति आर्या, डॉ० चंद्रप्रकाश फुलेरिया, डॉ० ममता पन्त, डॉ० मुकेश सामन्त, डॉ० ललित योगी और लीला खोलिया आदि ने भी अपने विचार रखे। अनेक छात्र-छात्राएं भी कार्यक्रम में मौजूद थे। मंच संचालन डॉ० गोकुल द्यौपा द्वारा किया गया,
जबकि अध्यक्षता कुर्माचल अखबार के संपादक डॉ० चंद्रप्रकाश फुलेरिया ने की।

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