Dehradun – रजिस्ट्री फर्जीवाड़े में मुकदमा दर्ज, अभिलेखों से छेड़छाड़ करने वालों पर कसेगा शिकंजा; CM ने दिए निर्देश
रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रियों के साथ छेड़छाड़ के मामले में भूमाफिया पर बड़ी कार्रवाई होने जा रही है। इस मामले में शहर कोतवाली में सहायक महानिरीक्षक निबंधन की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भूमाफिया सहित रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।रजिस्ट्रार कार्यालय में रजिस्ट्रियों के साथ छेड़छाड़ के मामले में भूमाफिया पर बड़ी कार्रवाई होने जा रही है। इस मामले में शहर कोतवाली में सहायक महानिरीक्षक निबंधन की तहरीर पर अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। प्रकरण में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर भूमाफिया सहित रजिस्ट्रार कार्यालय में तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों पर भी गाज गिर सकती है।
अभिलेखों से छेड़छाड़ का मामला आया सामने
उत्तराखंड गठन से अब तक उप निबंधक कार्यालय प्रथम व द्वितीय में कार्यरत उप निबंधक व निबंधक लिपिकों की सूची भी रजिस्ट्रार कार्यालय की ओर से पुलिस को उपलब्ध कराई गई है। पुलिस को दी तहरीर में सहायक महानिरीक्षक निबंधन संदीप श्रीवास्तव ने बताया कि जिलाधिकारी के जनता दरबार एवं अन्य पटल पर दर्ज कराई गई शिकायत के क्रम में उप निबंधक कार्यालय प्रथम एवं द्वितीय के अभिलेखों का निरीक्षण कराया गया। इसमें उप निबंधक कार्यालय की ओर से प्रथम दृष्टया अभिलेखों से छेड़छाड़ किए जाने का मामला सामने आया है।
छह भूमि अभिलेखों में फर्जीवाड़ा
अपर जिलाधिकारी की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, प्रारंभिक रूप से वर्ष 1978 व वर्ष 1984 की छह रजिस्ट्रियों/भूमि अभिलेखों में फर्जीवाड़ा किया गया है। जिसमें भूमाफिया ने रिकार्ड में हेरफेर कर स्वामित्व बदल डाले और मूल रिकार्ड तक गायब कर दिए गए। जांच के मुताबिक, फर्जी रजिस्ट्रियों में हाथ की लिखावट, स्याही, मुहर और पेज में भिन्नता पाई गई है।
इस फजीवाड़े की पुष्टि जिलाधिकारी की ओर से गठित समिति की आख्या में भी हुई है। समिति ने अपने निष्कर्ष में उल्लेखित किया है कि फर्जी विक्रय व दानपत्र पुराने 1978 से 1990 तक के अभिलेखों/जिल्दों में हेरफेर करके मूल अभिलेखों को हटाते हुए फर्जी चस्पा किए जा रहे हैं।
हेरफेर करने वालों को पता है रिकार्ड का पूरा ब्योरा
इस पूरी प्रक्रिया में रिकार्ड का पूरा ब्योरा हेरफेर करने वालों को पता है। इसमें जिन लोगों को लाभ प्राप्त हो रहा है वह एवं उनके पक्ष में लाभ दिलाने वाले अधिवक्तागण एवं अन्य सहयोगी और रिकार्ड रूम के वह व्यक्ति जो इन दस्तावेजों के रखरखाव के लिए उत्तरदायी हैं। जिन न्यायालयों में इन फर्जी विलेखों से उनके पक्ष में फैसले हो रहे हैं और जो लोग कब्जा कराने व दिलाने में सहयोगी हैं, सभी जांच के दायरे में आते हैं।
जांच में बड़ा गिरोह का हाथ होने की संभावना
शिकायतकर्ता ने तहरीर में यह भी बताया कि देहरादून में एक या एक से अधिक गिरोह इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं, जिनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। अब तक जो दस्तावेज गायब हुए हैं, उनकी जांच में जो भी कार्रवाई की गई है, सभी जांच के दायरे में आने चाहिए। सीलिंग भूमि, अतिरिक्त घोषित भूमि, चाय बाग, लीची बाग की भूमि पर भी कब्जे किए गए हैं, उसकी भी जांच की जानी चाहिए।
पूरे प्रदेश की रजिस्ट्रियां होंगी डिजिटल
जमीन संबंधी रिकार्ड में हो रही छेड़छाड़ को देखते हुए अब पूरे प्रदेश में जमीनों की रजिस्ट्रियां डिजिटल होगी। इसकी घोषणा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने की है। उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रियों के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। जमीनों पर कब्जा करने वाले भूमाफिया को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
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