मदेर्स डे पर एक माँ की अनूठी पहल

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कहानी शुरू होती है साल २०२२ जून से जब ६६ साल की श्रीमती ऊषा पांडे को हृदयघात हुआ । उसके बाद तीन महीने का बेड रेस्ट बताया गया उनको । आमतौर पर उम्र के इस पड़ाव पर कोई भी और होता तो बचा खुचा जीवन सादगी से बिता देता । लेकिन ऊषा जी ने अपने बेटे वैभव पांडे के प्रोत्साहन से एक अलग कहानी लिखी। ऊषा जी ने अपने जीवन के कुछ क़िस्सों को एक किताब में पिरोया । देशभर में यह किताब जिसका शीर्षक ‘कल, आज और हमेशा’ है, अब देश भर में मिल रही है।

ऊषा जी बताती हैं ,”मेरे परिवार ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया । मैंने कोशिश की है कि हर कहानी से कुछ सीख समाज को दे सकूँ ।”

ग़ौरतलब है कि ऊषा जी जाने माने मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक वैभव पांडे की माँ हैं ।

उनके ऊपर वैभव की कई किताबें सोशल मीडिया पर वाइरल हैं । ऊषा पांडे संस्कृत, हिन्दी और अंग्रेज़ी भाषाओं में निपुण है।

किताब में अपने माँ बाप पर लिखी पंक्तियों से ऊषा जी दिल छू लेती हैं । अभिव्यक्ति सरल लेकिन प्रभावशाली है । पाठकों में इस किताब को लेकर ग़ज़ब का उत्साह है।
पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम में डॉ के डी पांडे, अनुपम पांडे, पल्लवी पांडे , नेहा पांडे, गौरी भी मौजूद रहे ।

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