लालकुआं (दिनेश पांडे): कहते है कि, राजनीति में विरासत का बड़ा ही ओरा होता है, पॉलिटिकल सेटलमेंट इसी विरासत का एक हिस्सा है। जो बड़े-बड़े दिग्गजों को परेशानी में डालता आया है। ये सारी बातें तब लागू होती है जब धरातल में इसकी चर्चा होने लगती है। ऐसी ही चर्चा इन दिनों पहाड़ से पलायन कर आए लोगों की भाबर की विधानसभा लालकुआं में भी हो रही है। दरअसल, लालकुआं विधानसभा में 2022 के चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की करारी हार के बाद, अब एक और दिग्गज यानी पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी की नजर इस सीट पर आ कर अटक गई है। मामला वहीं पॉलिटिकल सेटलमेंट का है, जानकार कहते हैं की भगत सिंह कोश्यारी अपने भतीजे दीपेंद्र सिंह कोश्यारी का लालकुआं में 2027 के लिए पॉलिटिकल सेटलमेंट देख रहे रहे हैं। लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि अभी से यही कहा जा रहा है कि “भगत दा भतीजे की ‘चाह’ में, कई और दावेदार पहले से ‘राह’ में ।
2027 के विधानसभा चुनाव के बारे में चर्चा करने से पहले 2022 के विधानसभा चुनाव की चर्चा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि इसके परिणाम यहां के मतदाताओं के रुख को स्पष्ट बताते हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में लालकुआं विधानसभा में कांग्रेस पृष्ठभूमि से पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल, हरेंद्र बोरा, संध्या डालाकोटी सहित एक दर्जन दावेदार को किनारे करते हुए कांग्रेस के सबसे हैवीवेट नेता और तत्कालीन समय में कथित रूप से कांग्रेस के सीएम के उम्मीदवार हरीश रावत चुनाव मैदान में उतरे, किस परिस्थिति में लालकुआं से चुनाव लड़े यह मतदाता भली भांति जानते हैं। लोग यह भी चर्चा करते रहते हैं कि करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी हरीश रावत तत्कालीन जिला पंचायत सदस्य डॉ मोहन बिष्ट से बुरी तरह से हार गए।
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि लालकुआं विधानसभा 2027 में टिकट के लिए, कांग्रेस की 2022 जैसी स्थिति भाजपा के समक्ष पैदा होने के आसार हैं, हालांकि सारी परिस्थितियों भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह सब चर्चा तब शुरू हुई जब पिछले वर्ष 2024 में दीपेंद्र कोश्यारी के जन्मदिन पर बिंदुखत्ता में सामाजिक समरसता कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम से भी लालकुआं विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के संभावित चुनावी दावेदार किनारे रहे। और रविवार को लालकुआं विधानसभा के गौलापार क्षेत्र में पिछले साल की तरह ही इस साल दीपेंद्र कोश्यारी के जन्मदिन पर सामाजिक समरसता का कार्यक्रम किया गया। इसमें भी पिछले साल की तरह पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी सहित कई राजनेता पहुंचे, लेकिन लालकुआं विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान के विधायक और अन्य दावेदार भगतदा जैसी शख्सियत के होने के बावजूद कार्यक्रम में नहीं पहुंचे।
लालकुआं विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी के सिटिंग एमएलए डॉ मोहन बिष्ट, पूर्व विधायक नवीन दुमका, पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, वर्तमान में BKTC के चेयरमैन हेमंत द्विवेदी, दूसरी बार प्रचंड बहुमत से जिला पंचायत जीते कमलेश चंदोला सहित कई दिग्गज दावेदारी की राह में नजर आ रहे हैं। ऐसे में दीपेंद्र कोश्यारी की राजनीतिक एंट्री से जगह-जगह यही राजनीतिक चर्चाएं हैं कि आखिर स्थानीय दावेदारों से कैसे किनारा किया जा सकता है। हालांकि कहा जाता है कि भाजपा में चुनावी टिकट वितरण की एक अलग लोकतांत्रिक प्रक्रिया है, लेकिन उसे उस प्रक्रिया पर भी भरोसा इसलिए नहीं किया जा सकता क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा के प्रत्याशी बने डॉक्टर मोहन सिंह बिष्ट किसी भी तरह से भाजपा के प्रत्याशियों के पैनल में नहीं थे बावजूद इसके अंत समय में भाजपा ने उन्हें पार्टी में लाकर टिकट थमाया। बरहाल समीकरण किसी तरफ भी घूमे, लेकिन अभी तक की चर्चा में लालकुआं विधानसभा में वही लाइने घूम रही है कि “भगत दा भतीजे की ‘चाह’ में, कई और दावेदार पहले से ‘राह’ में ।
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